श्रीलंका संकट असल में इस देश की कर्ज में डूबी अर्थव्यवस्था और एक ही परिवार के शासन के कारण उपजी राजनीतिक अव्यवस्था का नतीजा है। लंबे समय तक एक ही परिवार का शासन निरंकुशता को जन्म देता है और जनता धीरे-धीरे विद्रोही हो जाती है। यह विद्रोह शासकों के लिए संकट बन जाता है। अर्थव्यवस्था को विदेशी कर्ज से यथासंभव बचा कर रखना व लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता का विश्वास बनाए रखना आवश्यक है।
– शैलेंद्र कपूर, अलवर
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दूसरे देशों की शर्तों पर कर्ज या सहायता से नुकसान
अन्य देशों से उनकी शर्तों पर, अपने देश के हित को अनदेखा कर कर्ज या सहायता लेना, निर्माण कराना घातक साबित होता है। देशी उद्योग धंधों और जनता के हित की परवाह न करके सिर्फ तात्कालिक लाभ के बारे में सोचना किसी भी देश को भारी पड़ सकता है।
-राजेश सराफ, जबलपुर
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श्रीलंका सरकार ने मुफ्त चीजें बांटकर पूरी अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया। इससे सभी देशों को इससे सबक लेना चाहिए और इस तरह की प्रवृत्ति को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
-बाल कृष्ण दीक्षित, बूंदी
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श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद पैदा हुई अराजकता की स्थिति ने सभी को चौंकाया है। जिन देशों ने चीन पर ज्यादा भरोसा किया है, वहां इसी तरह के संकट नजर आए हैं। चीन से ऋण लेना भारत के लिए घातक साबित हुआ है। इसलिए सभी देशों को यही सबक लेना होगा कि आत्मनिर्भर होकर स्वयं की अर्थव्यवस्था को मजबूत करें। अर्थव्यवस्था ठीक ढंग से संचालित होती है, तो देश की स्थिति भी ठीक रहती है।
-सी. आर. प्रजापति, हरढ़ाणी जोधपुर
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श्रीलंका संकट से दूसरे देश यह सबक ले सकते हैं कि मुल्क का सत्ता प्रबंधन ठीक होना चाहिए। दूसरे देशो से ज्यादा कर्ज लेने से बचें। देश की अर्थव्यवस्था न बिगड़े, इसके लिए सख्त और उचित कदम उठाने चाहिए। किसी भी देश पर आंख मंूद कर भरोसा न करें।
-खेमू पाराशर ,भरतपुर
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श्रीलंका आर्थिक संकट से सबक लेते हुए किसी भी देश को अपने बुनियादी वस्तुओं और खाद्य पदार्थों के उत्पादन में आत्मनिर्भर होकर कम से कम आयात करना चाहिए। देश में ही वैकल्पिक ऊर्जा साधनों का पता लगाया जाना चाहिए, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार का संचय हो सके। साथ ही कर्ज का बोझ, सरकार की गलत नीतियां भी इस आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार है।
-सुभाष जांगिड़, जयपुर
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श्रीलंका के आर्थिक संकट को देखते हुए दूसरे देशों को अपने संसाधनों के अंधाधुंध इस्तेमाल पर रोक लगानी चाहिए। देश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना आवश्यक है।
-रजनी गंधा, रायपुर, छत्तीसगढ़
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श्रीलंका के संकट के मूल में शासन-प्रशासन की अदूरदर्शी नीतियां हैं। सरकार की नीतियों पर जनता को निगाह रखनी चाहिए और गलत नीतियों का विरोध करना चाहिए।
-शिव नारायण आर्य, देवास (म प्र)
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जिस देश की सरकार अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करती है, उस देश की शांति के साथ अर्थव्यवस्था भी नष्ट हो जाती है। जनता सड़क पर आ जाती है। सरकारें यदि देश के हित की नहीं सोचेंगी, तो जनता मौन नहीं रहने वाली।
-मनु प्रताप सिंह, चींचडौली, खेतड़ी