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आपकी बात, खेल प्रतियोगिताओं का लक्ष्य क्या होना चाहिए?

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Oct 26, 2021 / 05:15 pm

Gyan Chand Patni

आपकी बात, खेल प्रतियोगिताओं का लक्ष्य क्या होना चाहिए?

आपकी बात, खेल प्रतियोगिताओं का लक्ष्य क्या होना चाहिए?

सद्भाव बढ़ाना हो लक्ष्य
शारीरिक और मानसिक विकास के लिए खेल जरूर खेलना चाहिए। विद्यालयों में एक घंटा खेल का अवश्य होना चाहिए। यहीं से हमारे प्रतिभावान खिलाडिय़ों की पहचान होगी और फिर सरकार आर्थिक मदद कर उनकी प्रतिभा को तराशे। अपने देश व राज्य का नाम रौशन करे। खेल में जीत कर आना अच्छी बात हे, पर लक्ष्य सिर्फ सौहार्द व सद्भाव के लिए खेलना हो। खेल खेल की भावना से खेलें।
-लता अग्रवाल चित्तौडग़ढ़
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प्रतिभाओं को प्रोत्साहन
प्रतियोगिताओं का लक्ष्य प्रतिभाओं को प्रोत्साहन होता है। खेल प्रतियोगिता सिर्फ विजय या पराजय तक सीमित नहीं होनी चाहिए। खेलना ही प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए। परिणाम के बाद युवा अपनी हार-जीत का विश्लेषण कर स्वयं को निखार सकते हैं।
-मनु प्रताप सिंह, चींचडौली,खेतड़ी
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टीम भावना का विकास
बेशक जीत के लिए पूरी निष्ठा एवं संकल्प जरूरी है, परंतु खेल प्रतियोगिता में मिली हार को दिल पर नहीं लेना चाहिए। मुख्य बात है- टीम भावना। आपसी मेलजोल एवं सौहार्द की भावना बनी रहनी चाहिए। खेल प्रतियोगिता का यह भी लक्ष्य होना चाहिए कि हम अपना आकलन स्वयं करें।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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व्यक्तित्व का विकास
हर व्यक्ति के विकास में खेलकूद का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह हमें शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूप से मजबूत करते हैं। खेल प्रतियोगिताओं के दौरान हमें सभी प्रकार की जाति, धर्म, ऊंच-नीच जैसी चीजों को छोड़कर टीमवर्क, सहयोग, सामाजिक भावना तथा राष्ट्रीयता की भावना विकसित करनी चाहिए।
-राजीव दुबे, कटनी, मध्य प्रदेश
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खेल भावना जरूरी
खेल प्रतियोगिताएं स्वस्थ होनी चाहिए। इसमें किसी भी तरह की राजनीति, राष्ट्रीयता और द्वेष की भावना को कोई स्थान नहीं होना चाहिए। खेल प्रतियोगिताओं का उद्देश्य आपसी सहयोग, भाईचारा, प्रेम एवं स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होना चाहिए।
-कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर, चूरू
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सामाजिक समरसता का विकास
खेल प्रतियोगिताओं के माध्यम से खेल की भावना का विकास किया जाना चाहिए, ताकि खिलाडिय़ों में सहयोग की भावना विकसित हो। खिलाडिय़ों को खेल अपनी क्षमता का बेहतरीन इस्तेमाल करने, सहकारी टीम प्रयास का हिस्सा बनने का मौका प्रदान करते हैं। साथ ही प्रतियोगिता खिलाडिय़ों को अपने जीवन में विपरीत स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करती है। चुनौती और परिवर्तन की सूरत में डटकर मुकाबला करना सिखाती है। इससे शारीरिक विकास के साथ-साथ सामाजिक समरसता और सौहार्द को बढ़ावा मिलता है।
-अजिता शर्मा, उदयपुर
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खिलाड़ी देश का नाम रोशन करें
वैश्विक स्तर पर आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेकर खिलाड़ी देश का नाम रोशन कर सकते हैं। भारत भी महाशक्ति बनने की दौड़ में है, परन्तु ओलम्पिक खेलों में भारत की स्थिति अच्छी नहीं रहती। इसलिए खेलों को राजनीति से दूर रख कर देश में खिलाडिय़ों को तराशा जाना चाहिए।
श्रीेकृष्ण पचौरी, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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जीत का लक्ष्य
कोई भी खेल खेल- भावना से खेला जाना चाहिए। खेल का उद्देश्य है तनाव और वैमनस्य को दूर करके मित्रता की भावना को विकसित करना है। खेल प्रतियोगिता में एक टीम की हार और दूसरी टीम की जीत होना स्वाभाविक है। दोनों टीमें जीतने के लिए पूरी तैयारी करती हैं। जीत का लक्ष्य सामने होता है, तभी खिलाड़ी अपना बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
-विभा गुप्ता, बैंगलुरु
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युद्ध का मैदान नहीं है खेल प्रतियोगिता
आज के दौर में शिक्षा के साथ- साथ खेलों का महत्व बहुत बढ़ गया है। कोरोना महामारी से मुकाबले के लिए अंदरूनी शक्ति बहुत जरूरी हो जाती है। किसी भी प्रतियोगिता का मकसद एकता और भाईचारा होना चाहिए। मनोरंजन के साथ साथ स्वस्थ मानसिकता का होना जरूरी है। ध्यान रखना चाहिए कि खेल प्रतियोगिताएं युद्ध का मैदान नहीं हैं।
-काना राम पटेल, अरसिकेरे, कर्नाटक.
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हार और जीत, एक ही सिक्के के दो पहलू
खेल प्रतियोगिता में जीतने वाले और हारने वाले एक दूसरे के पूरक होते हैं। खेलों में हार और जीत एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं। खेल के दौरान मौका, वक्त और मनोबल का साथ पाने वाला विजयी हो जाता है। जीतने वाले की विजय तो हारने वाले की जय, यही खेल भावना है।
-मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई

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