कोरोना संक्रमण का आंकड़ा जिस तरह से बढ़ रहा है, उससे चिंता होना स्वाभाविक है। इसलिए सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। मास्क का उचित प्रयोग जरूरी है। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर उपयुक्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाया जाए। इसके लिए सरकार को सख्ती करनी होगी।
-कुमकुम सुथार, रायसिंहनगर, श्रीगंगानगर
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कोरोना की दूसरी लहर वाकई में खतरे की घंटी से कम नहीं है। अत: सरकार को ऐसे सार्वभौमिक उपाय करने चाहिए, जिससे आमजन की रोजी-रोटी उद्योग धंधों का और ग्रामीण क्षेत्रों के हितों का ध्यान रखा जाए। समुचित और सुनियोजित टीकाकरण की व्यवस्था हो।
-रेखा कुमारी राव ,जोधपुर
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कोरोना के नियंत्रण के लिए सरकार चार टी पर कार्य कर रही है- टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और टीकाकरण। इससे महामारी को नियंत्रित करने में निश्चित ही सफलता मिलेगी। इसके साथ ही सरकार को हर गली, मोहल्ले, कॉलोनियों और टाउनशिप में छोटे-छोटे समूह बनाकर उन्हें कोरोना से बचाव संबंधी सभी जानकारी देकर प्रशिक्षित किया जाए। इससे वे अपने-अपने क्षेत्र में निरंतर लोगो की सहायता कर सकते हैं।
-दीपिका पोद्दार, इंदौर
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कोरोना की दूसरी दूसरी लहर ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इसके नियंत्रण के लिए सरकार को भीड़भाड़ वाली जगह पर कोरोना गाइडलाइन की पालना सख्ती से करवाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए पुलिस मित्र की व्यवस्था भी की जाए, जो लोगों की समझाइश कर सके। बेहतर तो यह है कि भीड़-भाड़ वाले बाजार बंद करके, अस्थाई रूप से खुले स्थान पर बाजार बनाए जाएं।
-गौरव कुमार धामानी, अलवर
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कोरोना नियंत्रण के लिए केन्द्र व राज्य सरकारें सख्त कदम उठाते हुए लॉकडाउन लगाएं। कोरोना को हराने के लिए जनसहयोग भी जरूरी है। यदि ढुलमुल नीति चलती रही, तो हालात पहले से भी बदतर हो सकते हैं। स्थानीय प्रशासन मोहल्ला समितियों का गठन करे, फिर से पुलिस मित्र तैयार किए जाएं, ताकि वे आम जन को समझा सकें। मास्क न लगाने वालों व नियमों का उल्लंघन करने वालों के विरुद्ध जुर्माना व कठोर सजा का भी प्रावधान होना चाहिए।
-गायत्री चौहान, जोधपुर
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प्रजा राजा के निर्देश का पालन करे, किन्तु उसके लिए राजा को भी अपना व्यवहार संयमित रखना पड़ता है। सभी नागरिकों ने लॉकडाउन का सहर्ष पालन करते हुए काम धंधे बंद होने के बावजूद अपूर्व सहयोग भी दिया। अब चुनावी रैलियां देखते हैं तो नेताओं की कथनी और करनी में अंतर नजर आता है। सामाजिक-धार्मिक समारोहों के लिए आगंतुकों की संख्या निर्धारित है,लेकिन चुनावी रैलियों और सभाओं के लिए यह नियम लागू नहीं है। यह कैसा विरोधाभास है।
-कन्हैया लाल कुम्भकार, जीरापुर, राजगढ़, मप्र
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वर्तमान में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और स्थिति इससे भयानक भी हो सकती है। कोरोना की प्रथम लहर के समय हालात अलग थे और अचानक संसाधन जुटाना भी थोड़ा मुश्किल था। तो, संपूर्ण लॉकडाउन का निर्णय लिया गया। आज टीकाकरण से लेकर चिकित्सा- व्यवस्था और आर्थिक मदद जैसे उपाय हमारे पास है। अत: सरकार सम्पूर्ण लॉकडाउन किए बिना नियमों का कड़ाई से पालन करवा कर स्थिति पर नियंत्रण कर सकती है और जनता को भी नियमों की पालना करनी चाहिए।
– पंकज कुमावत, जयपुर
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कोरोना नियंत्रण के लिए सरकार को सभी सरकारी कार्यक्रमों एवं चुनावी रैलियों आदि में मास्क एवं सोशल डिस्टेंसिंग की पालना सुनिश्चित कर जनता के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। जो नेता स्वयं बड़ी-बड़ी रैलियों में बिना मास्क नजर आते हैं, वे जनता से मास्क पहनने एवं सोशल डिस्टेंसिंग रखने की अपील किस नैतिक आधार पर कर कर सकते हैं? अत: सर्वप्रथम आवश्यक है कि सरकार से जुड़े लोग और नेता स्वयं उदाहरण बनें ।
-रवि शर्मा, गंगापुर सिटी
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कोरोना नियंत्रण के लिए सरकार जो प्रयास तो कर रही है, उसमें बहुत सुधार की गुंजाइश है। लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं जिस कारण प्रशासन सख्त कार्रवाई कर रहा है। कुछ लोगों की गलती से सबको नुकसान हो रहा है। लोग डॉक्टर और मेडिकल स्टोर तक भी नहीं जा पा रहे। जरूरतमंद को घर से बाहर जाने दिया जाए। सभी दुकानों को एक तय समय तक खोलने की अनुमति दी जाए। बाजार में भीड़ को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी भी दुकानदारों को सौंप दी जाए।
-कल्याण नीमा, उज्जैन, मध्यप्रदेश
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कोरोना से अति प्रभावित क्षेत्रों का निर्धारण करके उन क्षेत्रों को पूरी तरह कंटेनमेंट जोन बना देना चाहि। वहां पर आवाजाही पूरी तरह बंद रहे। प्रत्येक रहवासी की जांच निशुल्क हो। क्षेत्र के सभी स्कूलों, धर्मशालाओं, सामुदायिक भवनों, होटलों, विवाह स्थलों का जनहित में अधिग्रहण कर लिया जाए और उनका उपयोग होम आइसोलेशन के लिए किया जाए। होम आइसोलेशन में रखे गए मरीजों की भोजन-पानी आदि की व्यवस्था क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं के जिम्मे की जानी चाहिए। दवाएं सरकार निशुल्क उपलब्ध कराए। निस्वार्थ भाव से जन सेवा के इच्छुक लोगों की टीम बनाई जाए। इसके लिए पत्रिका समूह ने पहल भी की है और उसके आह्वान पर कर्मवीर योद्धा बहुत बड़ी संख्या में जुड़े भी हैं। अति संक्रमित क्षेत्र के सभी पात्र नागरिकों के उनके घर पर ही टीकाकरण की व्यवस्था हो। अस्पताल में गंभीर रोगियों को तुरंत भर्ती कराया जाए और वहां कोविड उपचार से संबंधित सभी व्यवस्थाएं पर्याप्त मात्रा में हों। अस्पताल में इलाज निशुल्क हो। निजी अस्पतालों का कोविड के इलाज के लिए अधिग्रहण किया जाए, वहां पर दवा आदि की व्यवस्था निशुल्क की जाए। सर्वदलीय निगरानी समितियां वार्ड वाइज बनाई जाएं। लॉकडाउन या कर्फ्यू नहीं लगाएं, बल्कि हर बाजार में पर्याप्त मात्रा में स्वयंसेवकों की व्यवस्था की जाए, जो भीड़ को नियंत्रित करें। जुर्माने से ज्यादा समझाइश पर जोर दिया जाए।
-गिरीश कुमार जैन, इंदौर