संकट के इस समय सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर कोरोना की के खिलाफ लडऩा चाहिए, लेकिन स्वार्थ और धर्म-जाति की राजनीति के चलते ये दल एकजुट नहीं हो पा रहे। यह समय जाति और धर्म से ऊपर उठने का है। बिना किसी स्वार्थ के लोगों की मदद करने का समय है।
-रमेश खोखर रायपुरा. सीकर
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राजनीतिक पार्टियां इस महामारी के दौर में अपने लिए सुअवसर की तलाश में हैं। महामारी से निपटने के तरीकों को तलाशने की बजाय पार्टियां आरोप-प्रत्यारोपों में ही उलझी हैं।
-जितेन्द्र कुमार सैनी, सोनावा, अलवर
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हमारे नेताओं की सबसे बड़ी समस्या है कि वे किसी भी समस्या को चुनौती की तरह नहीं एक मौके की तरह देखते हैं। यही कारण है कि कोरोना जैसी महामारी के समय भी उन्हें जिंदगियों की कोई फिक्र नहीं है। राजनीतिक पार्टियां सिर्फ एक दूसरे की अक्षमताओं को उजागर करने में लगी हंै। संसाधनों को जुटाने की मुहिम सिर्फ एक दिखावा बन गई है। ये इंसानियत दिखाने का समय है ना कि राजनीति।
-ममता पुरी, जोधपुर।
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कोरोना जैसी महामारी के समय सभी राजनीतिक दल आपसी द्वेष के कारण एकजुट नहीं हो पा रहे। आरोप-प्रत्यारोप को छोड़ कर सभी दलों को ‘मानव धर्म’ के बारे में सोचना चाहिए। हमारी संस्कृति हमें सिखाती है कि मानव धर्म ही सबसे बड़ा धर्म है। इस कारण सभी दलों को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए।
-जीतराम डिवांचली, लालसोट, दौसा
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राजनीतिक मर्यादा का हनन हो गया है। संकट की घड़ी में राजनीतिक लाभ की कवायद राजनीतिक दलों को एकजुट होकर मुकाबला करने को हतोत्साहित करती है। अच्छे नेता अल्पमत के कारण मौन हो गए हैं। राजनीतिक दल मतदान करने की बजाय अच्छे नेता का चुनाव करें, तो अच्छी मर्यादाएं प्रतिष्ठापित हो सकती।
-नरेन्द्र कुमार शर्मा, जयपुर
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जो राजनीतिक दल स्वयं संकट उत्पन्न करते हैं, वे संकट के समय एकजुट कैसे हो सकते हैं? हर दल सत्ता हासिल करने के लिए उतावला है। आम जनता की परवाह राजनीतिक दल कब करते हैं? यदि वे एकजुट हो जाएंगे, तो अपना घर कैसे भरेंगे? उनका उद्देश्य ही फूट डालो राज्य करो है।
-राजीव जैन, भिण्ड ,मध्यप्रदेश
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संकट की इस घड़ी में जहां हर तरफ खौफ फैला हुआ है, राजनीतिक दलों को एक दूसरे की बुराई करने की सूझ रही है। बेहतर तो यह है कि सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर कोरोना के प्रति सामान्य जन को जागरूक करें और जनता की मदद के लिए आगे आएं।
– अमनदीप बिश्नोई , सूरतगढ़, श्रीगंगानगर
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सभी दलों को मिलकर इस महामारी से एक साथ लड़ना होगा। चिंता की बात यह है कि इस समय पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों में उलझे हैं, जबकि अभी मानवता की सेवा ही प्राथमिक होनी चाहिए। सरकारें आएंगी और जाएंगी, लेकिन याद उसे ही रखा जाएगा, जो जनता को राहत देगा।
-वीरभान गुर्जर, अजमेर
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वोट बैंक की राजनीति का परिणाम
वर्तमान समय मे पूरे देश में कोरोना महामारी चल रही है। आपदा की इस घड़ी में सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होना चाहिए, लेकिन ये दल अपनी ढपली-अपना राग अलापते हुए एक दूसरे पर छींटाकशी कर रहे हैं। वोट बैंक की राजनीति के चलते ही राजनीतिक दल एकजुट नहीं हो पा रहे हैं।
-शिरीष सकलेचा, बड़ावदा, मप्र
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राजनीतिक दलों में सत्ता की भूख इतनी बढ़ गई है कि ये राष्ट्रीय संकट एवं आपदा के समय भी एकजुट होकर कार्य नहीं कर रहे हैं। राजनीतिक दलों का लक्ष्य येन-केन-प्रकारेण सत्ता को प्राप्त करना ही रह गया है। इसलिए राजनीतिक दल संकट के समय में भी एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। वैक्सीन, लॉकडाउन, ऑक्सीजन आदि मुद्दों पर विभिन्न राजनीतिक दलों में मतभेद स्पष्ट दिखाई देते हैं।
-मुकेश आजाद, लालसोट, दौसा