नई दिल्ली। रियो पैरालिंपिक्स में भारत को तीसरी कामयाबी हाथ लगी है। 35 साल के देवेंद्र झाझरिया ने मंगलवार को देर रात जैवेलिन थ्रो में देश के लिए गोल्ड मेडल जीता। यह पैरालिंपिक करियर में उनका दूसरा गोल्ड है। उन्होंने 63.97 मीटर जैवेलिन फेंकर 2004 के एथेंस पैरालिंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर बनाए अपने 62.15 मीटर के वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
आठ साल की उम्र में काटना पड़ा था हाथ
– जब देवेंद्र 8 साल के थे तब दोस्तों के साथ बाहर खेलते समय वो एक दुर्घटना का शिकार हुए थे। खेलते-खेलते देवेन्द्र 11,000 वोल्ट्स की हाईटेंशन लाइन के सम्पर्क में आ गए थे। हादसे में देवेंद्र ने अपना हाथ गंवा दिया था।
– जब देवेंद्र कक्षा 10 में थे तब पहली बार उन्होंने भाला थामा था। लगातार अभ्यास के बाद वह ओपन श्रेणी में जिला स्तर पर चैंपियन बने। सालों तक वह सक्षम खिलाडिय़ों से मुकाबला करते रहे और इंटर कॉलेज, डिस्ट्रिक्ट और स्टेट स्तर पर मैडल जीतते रहे।
– कॉलेज में आने तक देवेन्द्र को पैरा खेलों के बारे में पता तक नहीं था। एक पूर्व रेलवे कर्मचारी आरडी सिंह जो अब स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में कार्यरत हैं और द्रोणाचार्य अवार्डी हैं ने देवेंद्र को पैरा- खेलों से परिचित करवाया। तब से सिंह देवेंद्र के प्रेरणास्रोत रहे।
– देवेंद्र ने 2004 में एथेंस ओलंपिक में इतिहास रच दिया जब उन्होंने एफ46 भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता। वो उन खेलों में भारत के दूसरे पदक विजेता बने। तब भी देवेंद्र ने विश्व रिकॉर्ड कायम किया था।
– वह पहले पैरा-एथलीट हैं जिन्हें 2012 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
भारत के तीन एथलीट ने लिया था जैवेलिन में हिस्सा
भारत की ओर से जैवेलिन में हिस्सा लेने तीन एथलीट गए थे। देवेंद्र के अलावा रिंकू सिंह जैवेलिन थ्रो में पांचवें स्थान पर रहे। तीसरे पैराएथलीट सुंदर सिंह गुर्जर से भी मेडल की बड़ी उम्मीदें थीं लेकिन वे इवेंट के लिए वक्त पर स्टेडियम ही नहीं पहुंच पाए।
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