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खेल में भेदभाव : ‘महिला खिलाड़ियों के कपड़ों पर ही ध्यान क्यों, सम्मान मिलना चाहिए’, दिव्या देशमुख ने पोस्ट में साझा की अपनी पीड़ा

दिव्या ने साफ किया है कि वह एक खिलाड़ी के रूप में पहचान बनाना पसंद करेंगी। वह नहीं चाहती हैं कि उन्हें खेल की बजाय महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने के लिए चर्चा मिले।
 

Feb 02, 2024 / 12:58 pm

Siddharth Rai

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Divya Deshmukh Calls Out Sexism in Chess Viewership: भारत की 18 वर्षीय युवा शतरंज खिलाड़ी दिव्या देशमुख ने नीदरलैंड में टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट में भाग लेने के बाद खेलों में लिंगभेद और महिला खिलाडिय़ों के प्रति द्वेष का मुद्दा उठाया है। सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने महिला खिलाड़ियों के साथ अक्सर दर्शकों के आपत्तिजवक व्यवहार पर निराशा जताई और खुलासा किया कि खेल में उनके मजबूत प्रदर्शन के बावजूद दर्शकों का ध्यान उनके कपड़ों, बालों और उच्चारण जैसे अप्रासंगिक पहलुओं पर केंद्रित था।

दिव्या ने कहा कि जहां पुरुष खिलाड़ियों को पूरी तरह से अपने खेल के लिए स्पॉटलाइट मिल रही है वहीं महिलाओं को कम सरहाना मिल रही है। दिव्या ने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, ‘मैं कुछ समय से इस बारे में बात करना चाहती थी, लेकिन टूर्नामेंट खत्म होने का इंतजार कर रही थी। मैंने देखा कि शतरंज में महिलाओं को अक्सर दर्शक कैसे हल्के में लेते हैं। यह दुखद सच्चाई है कि जब महिलाएं शतरंज खेलती हैं तो लोग अक्सर इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि वे वास्तव में कितना अच्छा खेलती हैं और उनकी ताकत क्या है।’

शानदार प्रदर्शन
2023 में दिव्या ने एशियन महिला चेस चैंपियनशिप अपने नाम की।
2022 में इंडिया चेस चैंपियनशिप जीती, चेस ओलंपियाड में कांस्य जीता।
2020 में फिडे ऑनलाइन चेस ओलंपियाड में चैंपियन बनी टीम का हिस्सा रहीं।

 

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दिव्या ने आगे लिखा, ‘कुछ मैचों में मेरा प्रदर्शन शानदार था और मुझे उस पर गर्व था, लेकिन खेल से ज्यादा दर्शकों की मेरे कपड़ों और अन्य कई चीजों में दिलचस्पी थी। देशमुख ने कहा, मुझे लगता है कि महिलाओं को रोजाना इसका सामना करना पड़ता है। महिलाओं की कम सराहना की जाती है और हर अप्रासंगिक चीज पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। शतरंज में महिलाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं को अप्रासंगिक मानदंडों के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए। उनके कौशल और उपलब्धियों को स्वीकार किया जाना चाहिए। महिलाओं को समान सम्मान मिलना चाहिए।

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