शुक्रवार को देश के 73वें स्वतंत्रता दिवस ( Indipendence Day ) पर मेजर ध्यानचंद से जुड़ा एक खास किस्सा है जो हम हमारे पाठकों के साथ साझा करने जा रहे हैं। मेजर ध्यानचंद भारत के राष्ट्रीय खेल ‘हॉकी’ के तो शीर्ष खिलाड़ी थे ही लेकिन इस किस्से को जानने के बाद आप ये महसूस करेंगे कि देशभक्ति में भी उनका कोई सानी नहीं हो सकता।
ठुकरा दिया था हिटलर का बड़ा ऑफर
मेजर ध्यानचंद अपने देश से बेइंतेहा प्यार करते थे और जब तक वे खेले अपने देश का मान बढ़ाने और उसके सम्मान के लिए खेले। जर्मन तानाशाह एडोल्फ हिटलर ( Adolf Hitler ) और मेजर ध्यानचंद से जुड़ा एक रोचक वाक्या है जो आज भी हर देशभक्त का सिर गर्व से ऊंचा कर देता है।
मेजर ध्यानचंद अपने दमदार खेल की बदौलत पूरी दुनिया में सुर्खियां पा चुके थे। उनकी ख्याति और शानदार खेल से हिटलर तक काफी प्रभावित थे। एक समय की बात है जब हिटलर ने मेजर ध्यानचंद को जर्मनी की हॉकी टीम की ओर से खेलने और सेना में सबसे ऊंचे पद का प्रस्ताव दिया।
देश और उसकी अस्मिता को सर्वोपरी रखने वाले मेजर ध्यानचंद ने यह कहते हुए हिटलर का ये बड़ा ऑफर ठुकरा दिया था, ”मैंने भारत का नमक खाया है, मैं भारत के लिए ही खेलूंगा।”
ये बात 1936 में बर्लिन में आयोजित हुए ओलम्पिक गेम्स के दौरान की है। यहां ध्यान देने योग्य बात ये भी है कि उस समय ध्यानचंद सेना में लांस नायक थे।
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दमदार खेल से कहलाए- हॉकी के डॉन ब्रैडमैन
मेजर ध्यानचंद के खेल का स्तर ही कुछ ऐसा था कि दुनिया की बड़ी से बड़ी शख्सियत उनसे प्रभावित थी। क्रिकेट के सबसे कामयाब खिलाड़ी माने जाने वाले सर डॉन ब्रैडमैन भी इस भारतीय शेर के खेल से बेहद प्रभावित थे। एक बार ब्रैडमैन ने ध्यानचंद को कहा था, “आप तो क्रिकेट के रन की तरह गोल बनाते हैं।”
हॉकी के जादूगर और देश में उसकी सबसे बड़ी पहचान वाले ध्यानचंद के जन्मदिन को पूरा देश ‘खेल दिवस’ के रूप में मनाता है।