दूसरी तरफ पिछले महीने के अंत में अफगानी राष्ट्रपति ने 16 साल से चल रहे गृहयुद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से यह घोषणा की थी कि वह तालिबानियों से शांति वार्ता के लिए तैयार हैं और इसके लिए कई तरह के राहत देने को भी तैयार हैं। इसके लिए उन्होंने कैदियों की रिहाई, संविधान की समीक्षा और दोबारा आम चुनाव कराने की भी पेशकश कर रखी है। हालांकि तालिबानियों की तरफ से इसका कोई सकारात्मक जवाब नहीं आया है। अफगानिस्तान ने तालिबान के कैदियों की रिहाई, आतंकियों को मुख्यधारा में शामिल कर फिर से चुनाव कराने व संवैधानिक समीक्षा का ऐलान किया।
तालिबान के राष्ट्रपति ने कहा था कि शांति समझौते को बढ़ाने की पेशकश वह बिना किसी पूर्व शर्तों के कर रहे हैं। उम्मीद है कि तालिबान इस पर जल्द ही सकारात्मक प्रतिक्रिया देगा। गनी ने यह भी कहा कि वार्ता के लिए तालिबान काबुल या किसी दूसरी जगह पर अपना राजनीतिक दफ्तर भी खोल सकता है।
अफगान राष्ट्रपति का यह बयान उनके बदले रुख को दिखाता है। इससे पहले वे तालिबान को लगातार आतंकवादी और विद्रोही कहा करते थे।