पधारो म्हारे देस से शुरू हुआ सफर जाने क्या दिख जाए तक पहुंच कर वापस पधारो म्हारे देश पर आ गया है। देश में शुरू से राजस्थान पर्यटन का पायोनियर रहा है। बीच के वर्षों में आधारभूत ढांचे के विकास में पिछडऩे से राजस्थान पर्यटन ने अपना अव्वल दर्जा खो दिया था। अब केंद्र में मोदी और प्रदेश में गहलोत सरकार बनने के बाद पर्यटन को प्राथमिकता पर रखा गया है। राज्य से केंद्र को 3 साल पहले चार सर्किट्स के प्रस्ताव भेजे गए थे, जिन्हें केंद्र ने मंजूर कर लिया था। सबसे पहले स्वदेश दर्शन योजना के तहत सांभर में सॉल्ट ट्यूरिज्म का 64 करोड़ का प्रोजेक्ट मंजूर हुआ। इसके बाद अजमेर-पुष्कर में 40 करोड़ का प्रोजेक्ट प्रसाद योजना में मंजूर किया गया। इसके बाद 91 करोड़ का कृष्णा सर्किट और 95 करोड़ का स्प्रिचुअल सर्किट मंजूर हुआ। बाद में 100 करोड़ का हैरिटेज सर्किट मंजूर किया गया है।
कोरोना प्रभावित प्रदेश की जीडीपी में पर्यटन का योगदान बढ़ाने के मकसद में सर्किट्स की मंजूरी से प्रदेश के पर्यटन उत्पादों को यूनीक फीचर के साथ सामने लाने का उद्देश्य है। केंद्र सरकार राजस्थान को सबसे अहम पर्यटन राज्य मानता है। राज्य ने केंद्र को 438 करोड़ का रिलीजियस सर्किट, 100-100 करोड़ के मेगा डेज़र्ट, इको ट्यूरिज्म और ट्राइबल सर्किट के प्रस्ताव दोबारा भेजे हैं। केंद्र की टीम ने इन्हें सैद्धांतिक तौर पर मंजूर कर लिया है। माना जा रहा है कि कोरोना की तीसरी वेव नहीं आई तो इस वर्ष के अंत तक इनके लिए 738 करोड़ रुपए की मंजूरी मिल जाएगी। इसी के साथ पाली, जालोर व सिरोही जिले की उम्मीदें भी बलवती हो रही है। तीनों जिले पर्यटन के लिहाज से सरसब्ज हैं, लेकिन इन जिलों के सैर-सपाटे को राजस्थान के पर्यटन मानचित्र पर उकेरने के प्रयास कभी नहीं हो पाए।
पिछली भाजपा सरकार में सीएम राजे ने मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद की बैठक में प्रदेश की जल, वन, पुरासंपदा को दुनिया के सामने लाने के लिए पर्यटन सर्किट्स के प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से ही तमाम सर्किट्स का खाका तैयार किया गया। प्रदेश में सरकार बदलने और गहलोत सरकार के काबिज होने के बाद पर्यटन के तौर तरीके बदल गए। विभाग ने नए सिरेे से प्रस्ताव केंद्र को भेजे। इन सर्किट्स में वन, नदी, झील, मंदिर, अन्य धार्मिकस्थल, पुरास्मारक, गांव, हस्तशिल्प, व्यंजन, किले, महल, बावड़ी सहित मेले और उत्सवों तक को शामिल किया गया है।
मेवाड़ और मारवाड़ सर्किट के भी प्रस्ताव केंद्र को भेजे गए हैं। राजस्थान के पर्यटन सर्किटों में मरू सर्किट बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, बाड़मेर जिलों, शेखावटी सर्किट चूरू, झुंझुनूं व सीकर, ढंूढार सर्किट जयपुर, आमेर, सामोद (जयपुर), रामगढ़, दौसा, आभानेरी (दौसा), हाड़ौती सर्किट कोटा, बूंदी, झालावाड़, वाड़ सर्किट अजमेर, पुष्कर, मेड़ता व नागौर, मेवाड़ सर्किट उदयपुर, चित्तौडग़ढ़, राजसमन्द, नाथद्वारा, कुम्भलगढ़, डूंगरपुर, जयसमन्द, मारवाड़ सर्किट माउण्ट आबू, जालोर व पाली का रणकपुर, वागड़ सर्किट में डूंगरपुर व बांसवाड़ा, मेवात सर्किट में अलवर, भरतपुर, सवाईमाधोपुर, रणथम्भौर व टोंक शामिल है। सन् 2006 से पहले 9 सर्किट थे। वर्तमान में 10 सर्किट हैं। दसवां सर्किट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सर्किट हैं, जिसमें अलवर, सीलीसेढ़, सरिस्का, डीग, धौलपुर (बसेड़ी) आदि आते हैं।
मारवाड़ में मेवाड़ के उदयपुर के रास्ते सैलानी पाली जिले की धरती पर कदम रखते है। उन्हें नाथद्वारा, राजसमंद तथा कुंभलगढ़ होते हुए पाली जिले के सादड़ी स्थित रणकपुर ले जाया जाता है। यहां से सैलानी पाली व जोधपुर होते हुए सीधे जैसलमेर के लिए निकल जाते हैं। एेसे में सैलानियों का ठहराव पाली जिले में नहीं हो पाता है। जबकि, रणकपुर जैन मंदिर के अलावा भी हमारे जिले में कदम-कदम पर पर्यटन बिखरा हुआ है। देसी पर्यटन तो सरसब्ज है, लेकिन जब तक विदेशी सैलानियों का यहां ठहराव नहीं होगी, तब तक पाली जिला राज्य के पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह नहीं बना सकता।
पाली राजस्थान के मध्य में स्थित एक छोटा पर खूबसूरत नगर है, जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक रूप से काफी ज्यादा महत्वपूर्ण है। बांडी नदी के किनारे यह नगर अरावली पर्वत श्रृंखला से घिरा है। वर्तमान में यह नगर औद्योगिक क्षेत्र में काफी उन्नति कर रहा है। इस नगर में और आस-पास कई दर्शनीय स्थल मौजूद हैं। पाली भ्रमण की शुरूआत प्रसिद्ध धार्मिक स्थल परशुराम महादेव मंदिर से की जा सकती है। इस मंदिर के आसपास कई जल कुंड और वनस्पतियों का भंडार है। दर्शन के लिए पहाड़ी सीढिय़ों से होते हुए उपर पहुंचना पड़ता है। यह मंदिर साहसिक एड़वेंचर का प्रतीक है। पाली स्थित लाखोटिया उद्यान यहां के प्रसिद्ध पर्यटन गंतव्यों में गिना जाता है। यह गार्डन यहां के लाखोटिया तालाब से घिरा है। वीकेडं पर कुछ एकांत समय बिताने के लिए यह एक आदर्श स्थल है। बंागड़ संग्रहालय सैलानियों को पाली के पुरातन इतिहास की याद दिला सकता है। जवाई नदी पर बना जवाईबांध भी सैलानियों की एक पसंद बन सकता है। 70 साल पुराना बांध राज्य के बड़े बांधों में गिना जाता है। ओम बन्ना के धार्मिक स्थल पर बुलेट की पूजा सैलानियों को दिखाकर पाली के पर्यटन को उभारा जा सकता है। वन्य जीव अभयारण्य में वन्य जीवों की अठखेलियां तथा पेंथर्स और इंसानों का दोस्ताना भी पाली जिले की एक पहचान है।