जांच में सामने आया कि राजूसिंह आंगडिया का कार्य करता था, जो दो माह पहले कार्य छोडक़र हिंगोला आ गया। जहां रतनलाल के साथ मिलकर आंगडिया के माल को लूटने की साजिश रची। रतनलाल व राजूसिंह ने पूर्व में आंगडिया के माल लाने ले जाने वालों की रैकी की। फिर दोनों आरोपियों ने श्रवणसिंह, महिपालसिंह, संजयसिंह, राजूसिंह सिनेर को साथ मिलाया। इससे पहले राजूसिंह हिंगोला द्वारा आंगडिया के माल ले जाने वाले की रैकी की गई और जिस बस में माल जाता है उसमें महिपालसिंह को बिठाया। महिपालसिंह सफर के दौरान बस में बैठै-बैठे ही लोकेशन देता रहा। पहले से धनारी स्थित एक होटल पर खड़े श्रवणसिंह, राजूसिंह सिनेर, सुखदेवसिंह व संजयसिंह ने सोने-चांदी के आभूषणों से भरे बैग को उठाकर पहले से खड़ी कार में लेकर फरार हो गए।
घटना के बाद सभी सुमेरपुर पहुंचे। जहां माल को बांटकर सभी अलग-अलग हो गए। यहां तक कि मोबाइल भी बंद कर दिए थे। लेकिन, पुलिस ने इस गुत्थी को सुलझा दिया।
दरअसल, 21 जून को भलाराम प्रजापत अहमदाबाद से पाली कूरियर पंहुचाने के लिए गुजरात रोडवेज बस में रवाना हुआ। बस करीब डेढ़ बजे धनारी के पास एक होटल पर आकर रुकी, तब भलाराम प्रजापत व साथी किशन व अन्य सवारियां खाना खाने नीचे उतरे थे। जब दस मिनट बाद लौटे तो सीट के आगे रखा बैग एक व्यक्ति लेकर भाग रहा थ। उसे पकडऩे की कोशिश की। लेकिन, वह कार में बैठकर सरूपगंज की तरफ भाग गया था।