महंत प्रवीणगिरी महाराज वन्यजीव अभयारण्य के पास स्थित कालिया हुलर महादेव मंदिर की पूजा अर्चना कर रहे हैं। उन्होंने जंगल के पक्षियों का अपनी सेवा से ऐसा विश्वास जीता कि उसकी आवाज सुनते ही सैकड़ों पक्षी एकत्रित हो जाते हैं। उन्होंने अपना जीवन इन पक्षियों की सेवा को समर्पित कर दिया है। इनकी सुरक्षा की जि मेदारी उठा रखी है। वे सुबह छह बजे और शाम पांच बजते ही टोकरी में दाना डालकर पक्षियों को डालने के लिए मंदिर प्रांगण में आ जाते हैं। पक्षियों को आवाज देना शुरू कर देते हैं।
देखते ही देखते मंदिर प्रांगण में विभिन्न प्रकार के सैकड़ों पक्षी दाना चुगने के लिए आ जाते हैं। पुजारी भी इन पक्षियों को अपने परिवार का सदस्य समझते हुए उनके दाने व पानी की स्वयं हर रोज व्यवस्था करते हैं। पक्षियों व जंगली जानवरों के लिए पीने के पानी के लिए निर्मित टब को रोज साफ कर शुद्ध पानी से भरते हैं। कस्बे में पुजारी का पक्षी प्रेम देख उनकी मदद करने के लिए घर-घर से दाना एकत्रित कर ग्रामीणों द्वारा मंदिर में पहुंचाया जाता है।
ये पक्षी आते हैं ज्यादा
कालिया हुलर महादेव मंदिर के पुजारी के आवाज देने पर वैसे तो सुबह शाम विभिन्न प्रकार के सैकड़ो पक्षी दाना चुंगने के लिए आ आते है। मगर इनमें मु य रूप से राष्ट्र पक्षी मोर,तितर,कबुतर,जंगली मुर्गो,काबर,चिडिय़ा सहित अन्य पक्षी दाना एवं विच्छर करने के लिए आ जाते है।
शिकारियों पर पुजारी की रहती है नजर
पक्षियों की सेवा में अपना तानव जीवन लगाने वाला पुजारी की हमेशा पक्षियों की सुरक्षा को लेकर चिंता लगी रहती है। इसलिए शिकारियों पर पुजारी की बराबर नजर लगी रहती है और मंदिर के आसपास आने वाले अंजान व्यक्ति को रोक उसके बारे में पुरी जानकारी लेने के बाद ही मंदिर की ओर जाने देते है।
चौधरी करते हैं दाने की व्यवस्था
महादेव पुजारी द्वारा पक्षियों की सेवा करने का जज्बा देख समाजसेवी फुआराम चौधरी बेरा धोली काकर देसूरी ने पक्षियों के लिए दाना की व्यवस्था करने की जि मेदारी उठा रखी है। गांव और अन्य स्थान से दाना एकत्र कर पुजारी तक
पहुंचाते हैं।
दूसरों के पैरों की आवाज सुन उड़ जाते हैं पक्षी
पुजारी प्रवीण गिरी महाराज एवं पक्षी एक परिवार की तरह रहते हैं। इस कारण पक्षी पुजारी पर विश्वास करते हैं। मंदिर के आस-पास दूसरे व्यक्ति के पैरों की आवाज पक्षियों के कानों में पड़ते ही वे जंगल में वापस चले जाते हैं।