पाली मेडिकल कॉलेज के इस अस्पताल में 16 वेंटीलेटर बेड है, 38 बाईपेप मशीनें है। जिन्हें सेमी वेंटीलेटर कहा जाता है। वेंटीलेटर के अभाव में इन बाईपेप मशीनें लगाकर गंभीर मरीजों का उपचार किया जा रहा है। सबसे बड़ी समस्या इन वेंटीलेटर को लगाने वालों की है, पाली में वर्तमान में 2 एनस्थेटिक डॉक्टर ही है, जो यह काम कर सकते हैं। ट्रेंड स्टाफ की भी कमी है, इस कारण भी यह समस्या हो रही है।
पाली में कोरोना मरीज के लिए वेंटीलेटर उपलब्ध नहीं है। अधिकांश यहां से मरीजों को जोधपुर रैफर किया जाता है या मरीज को परिजन जोधपुर ही उपचार के लिए ले जाते हैं, लेकिन जोधपुर में भी बुरे हाल है। जोधपुर में कोरोना मरीजों का उपचार करने वाले निजी अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं है। एम्स जैसे बड़े अस्पताल में भी बेड नहीं है। हालात को देखते हुए यहां के मरीजों का उपचार पाली में ही करने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे में यहां वेंटीलेटर बढ़ाने की आवश्यकता जरूरी है।
चिकित्सा विभाग के सूत्रों की माने तो आने वाले समय में कोरोना और अधिक बढ़ सकता है। अस्पताल में अभी से ही ऑक्सीजन बेड, वेंटीलेटर बेड, आईसीयू की मारामारी है। जिला प्रशासन ने भी आमजन से सतर्क रहने की अपील की है।
16 वेंटीलेटर आईसीयू में लगे हुए है, जिन पर मरीज फुल है। आईसीयू में जगह नहीं है। 16 अन्य वेंटीलेटर रखे हुए हैं, जो आगामी दिनों में लगाएंगे। 38 बाइपेप मशीनें है, जो कोरोना गंभीर मरीजों को लगाई जा रही है। मरीजों के हित में काम किया जाता है। दो एनस्थेटिक ही है, और मुख्यालय से मांगे गए हैं। – डॉ. आरपी अरोड़ा, पीएमओ, बांगड़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पाली।