इस मशीन के माध्यम से फेफड़ों में नाक से नली डालकर जांच की जाती है। इसके अलावा फेफड़ों से एक टूकड़ा लेकर भी जांच की जाती है। चेस्ट विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. लक्ष्मण सोनी ने बताया कि मशीन को शुरू करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसके माध्मय से कई फेफड़ों के रोगियों को लाभ होगा।
ब्रॉम्कोस्कोपी मशीन करीब 20 से 25 लाख रुपए की आती है। इसकी जांच निजी लैब में छह हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक होती है। सरकारी अस्पताल में ब्रॉम्कोस्कॉपी मशीन से जांच महज 500 रुपए में हो सकेगी। इसके अलावा सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले कई लोगों की जांच मुफ्त भी की जाएगी।
ब्रॉम्कोस्कॉपी मशीन आने के बावजूद हम कोरोना के कारण उसे शुरू नहीं कर सके थे। इस मशीन को मार्च में शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद फेफड़ों के कैंसर के साथ फेफड़ों से जुड़े अन्य रोगों के मरीजों का उपचार भी आसानी से हो सकेगा। –डॉ. केसी अग्रवाल, प्रिंसिपल, राजकीय आयुर्विज्ञान महाविद्यालय, पालीॉ
-फेफड़े का कैंसर
-टीबी की बीमारी, जो एक्सरे या अन्य जांच में सामने नहीं आती है।
-निमोनिया
-फिमोफेसिस (खांसी में खून आने के कारण का पता लगाने में)