अपर लोक अभियोजक नरेश शर्मा ने बताया कि 11 दिसंबर 1992 को सादड़ी निवासी रताराम ने रिपोर्ट दी कि 9 दिसंबर को उसका भाई जीवाराम तथा वह घर पर बैठे थे। इस दौरान उसका छोटा भाई दूदाराम लाठी लेकर आया और मारपीट करने लगा। बीच बचाव में आए भाई जीवाराम को भी पीट दिया। जिससे उसके सिर में गंभीर चोट आई। बेहोशी की हालत में जीवाराम को अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी मृत्यु हो गई।
न्यायालय ने तब किया था दोषमुक्त
इस मामले में न्यायालय ने आरोपी को आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अन्वीक्षा के बाद 30 जून 1999 को दोषमुक्त करार दे दिया था। पत्नी रूपा ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। न्यायालय के आदेश पर मामले की पुनः सुनवाई की गई।
अब दोषी करार
गवाहों के बयानों, रिपोर्ट, तथ्य के आधार पर आरोपी भाई दूदीया पुत्र पूनाजी को अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश डॉ सिंपल शर्मा ने आजीवन कारावास व 15 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया।