इस गांव के बच्चों को सुबह उठते ही खाली मटका व बाल्टी लेकर हैण्डपम्प पर पहुंच कतार में लगना होता है। बारी आते ही मटके व बाल्टी को पानी से भरते हैं। सिर पर मटका व हाथ में पानी से भरी बाल्टी लिए बच्चे पैदल निकलते नजर आते हैं। ये दृश्य गांव की पेयजल व्यवस्था को बयां करने के लिए काफी है।
इस गांव में टैंकरों से जलापूर्ति अभी तक शुरू नहीं हो पाई है। सेंदड़ा सरपंच शंकरलाल कटारिया की मानें तो उन्होंने प्रपत्र भर कागजी प्रक्रिया पूरी कर जलदाय विभाग के पास भेज दिया है। जबकि जलदाय विभाग के एईएन डीआर. नोगिया अब तक प्रपत्र नहीं मिलने से टैंकरों से जलापूर्ति शुरू करने में असमर्थता जता रहे हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर वह प्रपत्र कहां अटक गया। फि लहाल इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
सरपंच द्वारा प्रपत्र भर कागजी प्रक्रिया पूरा कर हमारे पास जब तक नहीं भेजा जाएगा तब तक हम टैंकरों से जलापूर्ति शुरू नहीं कर सकते। हमें अब तक जिन ग्राम पंचायतों से प्रपत्र भेजा गया वहां हमने टैंकरों से जलापूर्ति शुरू कर दी है। सेंदड़ा सरपंच प्रपत्र लाकर देंगे तब हम झाड़ली में भी टैंकर शुरू करवा देंगे। -डीआर. नोगिया, एईएन, पीएचइडी, रायपुर