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पाली

संसाधन पूरे फिर भी आबकारी नहीं पकड़ पाई अवैध शराब से भरा ट्रक

-पाली में आबकारी निरोधक दल के 6 प्रवर्तन स्टेशन का हाल-कार्रवाई के टारगेट तक पूरा नहीं कर पाते प्रहराधिकारी-हर माह लाखों का खर्च ईपीएफ पर, मुख्यालय की भी नहीं सुनते

पालीSep 20, 2018 / 10:25 am

Suresh Hemnani

Excise team not prohibited illegal alcohol

संसाधन पूरे फिर भी आबकारी नहीं पकड़ पाई अवैध शराब से भरा ट्रक

पाली। पाली में आबकारी निरोधक दल (इपीएफ) को शराब तस्करी रोकने के लिए राज्य सरकार ने गाडिय़ां, जाप्ता व हथियार सहित सभी संसाधन दिए, बावजूद इसके पिछले तीन साल में ईपीएफ विंग पाली में एक भी अवैध शराब से भरा ट्रक नहीं पकड़ पाई। जबकि हरियाणा व पंजाब से गुजरात भेजी जाने वाली अवैध शराब इन्हीं थाना क्षेत्रों के रास्तों से गुजरने की मुखबिरी भी कई बार मिली, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही व ढिलाई में तस्कर इन्हें मात दे गए।
प्रहराधिकारियों को हर माह अवैध शराब पकडऩे के जो टारगेट दिए, वे भी पूरे नहीं हो रहे हैं। इससे आबकारी विभाग के अधिकारी खासे नाराज है। जबकि चुनावी सीजन में शराब तस्करी बढ़ रही है।
यह है हाल
आबकारी निरोधक दल का कहना है कि कार्रवाई नहीं करने के पीछे कमजोर मुखबिरी व अधिकारियों और जाप्ते की कमी मुख्य कारण है। पाली शहर व ग्रामीण जैसे बड़े प्रवर्तन स्टेशन का काम प्रहराधिकारी घीसाराम संभाल रहे हैं। वे दोनों क्षेत्रों में समय पर पहुंच ही नहीं पाते। इसी प्रकार जैतारण में प्रहराधिकारी का पद खाली है, इसका चार्ज आबकारी निरीक्षक मदन गुर्जर के पास है। वे निरीक्षक का काम ज्यादा व प्रहराधिकारी का काम कम देख पाते हैं। सोजत में प्रहराधिकारी सुरेन्द्र सिंह व बाली में भगवान सिंह लगे हुए हैं। दोनों के पास स्वतंत्र प्रभार होने के बावजूद कार्रवाई के टारगेट अधूरे हैं। सुमेरपुर में आबकारी निरीक्षक शंभुसिंह को ही प्रहराधिकारी का चार्ज दिया हुआ है। इनके भी टारगेट अधूरे हैं।
जिले में 6 प्रवर्तन स्टेशन, 3 प्रहराधिकारी, 30 से अधिक जाप्ता
जिले में आबकारी निरोधक दल के छह प्रवर्तन स्टेशन (थाने) हैं। इनमें पाली शहर, पाली ग्रामीण, जैतारण, सोजत, बाली व सुमेरपुर शामिल है। प्रत्येक प्रवर्तन स्टेशन पर छह से सात जनों का जाप्ता है। हथियार भी दिए गए हैं, इन पर हर माह लाखों रुपए खर्च किया जाता है, ताकि शराब तस्करी रोकी जा सके। हर प्रहराधिकारी को माह में दस छोटी कार्रवाई व चार बड़ी कार्रवाई करने का लक्ष्य दिया गया है। बड़ी कार्रवाई के तहत पांच कर्टन से अधिक अवैध शराब पकडऩा जरूरी है। यह टारगेट अधिकारी पूरा नहीं कर पाते। आबकारी के आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले तीन साल में अवैध शराब से भरा हुआ एक भी बड़ा ट्रक आबकारी निरोधक दल नहीं पकड़ पाया। जबकि ईपीएफ विंग का काम केवल शराब तस्करी रोकना है।
हां कार्रवाई के लक्ष्य भी अधूरे हैं
यह सहीं है कि अवैध शराब के बड़े ट्रक ल बे समय से ईपीएफ के हाथ नहीं लगे। प्रहराधिकारियों के कार्रवाई के लक्ष्य भी पूरे नहीं होते। मुख्यालय बार-बार निर्देशित भी करता है, लेकिन जाप्ता व अधिकारियों की कमी और मुखबिरी नहीं मिलने से बड़ी कार्रवाई नहीं हो पाती। -देइदान सिंह, प्रभारी, आबकारी निरोधक दल, पाली

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