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80 की उम्र में भी संगीत में मिठास घोल रही माण्ड गायिका गवरी देवी

देश-प्रदेश के कई मंचों पर दे चुकी है प्रस्तुति

पालीJul 15, 2018 / 04:23 pm

Praveen Singh Chouhan

folk Singer gavari devi

80 की उम्र में भी संगीत में मिठास घोल रही माण्ड गायिका गवरी देवी

पाली. संगीत की दुनिया में भी भले ही अहम बदलाव आए हो, लेकिन राजस्थानी संगीत में माण्ड गायकी का अपना मुकाम है। इसी विरासत को आगे बढ़ा रही है पाली की गवरी देवी राव। 80 की उम्र में भी गवरी देवी की आवाज का जादू कम नहीं हुआ है। यही कारण है कि उन्हें देश-प्रदेश के कई मंचों पर अब भी सिद्दत से सुना जाता है। गवरी देवी अब अपनी तीसरी पीढ़ी को माण्ड गायकी की तालीम दे रही है। राजस्थानी लोक गीतों में माण्ड गायकी एक विशिष्ट शैली है। माण्ड गायकी में अनेक विभूतियों ने इस कला को आगे बढ़ाया। जोधपुर की गवरी देवी और बीकानेर की अल्लाह जिल्लाह बाई के बाद इस शैली में पाली की गवरी देवी राव का नाम शीर्ष पर लिया जाता है।
विरासत में मिली गायकी

गवरी देवी का जन्म बाड़मेर जिले के कोरणा गांव में एक पारम्परिक गायन परिवार में हुआ। यह कला उन्हें विरासत में मिली। उनके माता-पिता भी पेशेवर कलाकार थे। शादी के बाद पति मिश्रीलाल के साथ मिलकर उन्होंने कई मंचों पर माण्ड गायकी को जनमानस तक पहुंचाया। वह दूरदर्शन व ऑल इंडिया रेडिया पर एक नियमित रूप से प्रस्तुति देती है।
कण्ठस्थ है सैकड़ों पुरानी माण्डें-टकसालें

गवरी देवी को सैकड़ों पुरानी टकसालें, माण्डें और गीत कण्ठस्थ है। संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली द्वारा आयोजित 7वें लोक उत्सव तथा जवाहर कला केन्द्र जयपुर द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय लोक संस्कृति एवं नृत्य प्रतियोगिता में वह प्रभावशाली प्रस्तुति दे चुकी है। जोधपुर में कुछ महीनों पहले अन्तरराष्ट्रीय लोक कलाकारों के सम्मेलन में भी गवरी देवी को आमंत्रित किया गया था। गवरी देवी की खासियत यह है कि उन्होंने अपनी गायन शैली को आधुनिकता से प्रभावित नहीं होने दिया। वह स्वयं हारमोनियम बेहतर ढंग से बजाती है।
तीसरी पीढ़ी तक दी तालीम

गवरी देवी के परिवार में उनके पति मिश्रीलाल पुत्र श्यामलाल, गोदाराम भी परम्परागत रूप से इस पेशे से जुड़े हुए हैं। बारह वर्षीय पौत्री गंगा यानी तीसरी पीढ़ी को भी गवरी देवी ने माण्ड गायकी सिखाई है। कम उम्र में भी गंगा अपनी दादी के साथ कई मंचों पर गायन में सहयोग देती है।
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