क्षेत्रिय वन अधिकारी चूण्डावत ने बताया कि रेंज के सभी वनकर्मियों को 11 मई को राजसमन्द में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में भेजा गया था। जहां वन्य जीव गणना का महत्व, वन्य जीवों की पहचान तथा गणना के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के संदर्भ में विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
वन्यजीव गणना में वन्यजीव संरक्षण में जिज्ञासा रखने वाले व्यक्ति, संस्था, स्काऊट-गाइड भाग ले सकते हैं लेकिन इसके लिए कोई मानदेय की व्यवस्था नहीं है। यह पूर्णत सहयोग पर आधारित होता है। अगर आप भी वन्यजीव गणना का हिस्सा बनना चाहते है तो नजदीक ही वन विभाग कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर भाग ले सकते है। इसके लिए पुरी तरह से वन विभाग के नियमों का पालन करना होता है।
मई महिना में भीषण गर्मी का दौर होता है ऐसे में वन्यजीव 24 घंटों में एक बार वाटर हॉल पर प्यास बुझाने अवश्य आता है। इस दौरान पेड़ों की ओट में मचान पर बैठे वनकर्मी और सहयोगी वन्यजीवों को आसानी से देख सकते हैं।
बीती रात को क्षेत्र में अंधड़ के बाद तेज बौछारें गिरी थी। 24 घंटों में बारिश होती है तो 18 से 19 मई को होने वाली वन्यजीव गणना के आंकड़े प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो बारिश के कारण वन्य जीवों को अपने आश्रय स्थल पर ही जल उपलब्ध हो जाता है। ऐसे में वे गणना के लिए बनाए गए वाटर हॉल पर नहीं आते हैं।