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पाली

चांदनी रात में वन्य जीवों पर रहेगी इंसानी नजर

-रावली टाडगढ़़ अभ्यारण रेंज कार्यालय जोजावर के वनकर्मियों ने की तैयारियां पूरी-पूर्णिमा को धवल चांदनी में होगी वन्य जीवों की गणना

पालीMay 18, 2019 / 01:44 pm

Suresh Hemnani

Forest area will be counted as wildlife

चांदनी रात में वन्य जीवों पर रहेगी इंसानी नजर

पाली/धनला। अरावली की पहाडिय़ों में पाली जिले की सीमा में स्थित रावली टाडगढ़ अभयारण्य वनक्षेत्र में वैशाखी पूर्णिमा की धवल चांदनी में 18 व 19 मई प्रात: 8 बजे तक वन्यजीवों की गणना की जाएगी। उपवन संरक्षक वन्य जीव राजसमंद फतेहसिंह राठौड़ के निर्देशन में जोजावर रेंज कार्यालय के वनकर्मियों द्वारा क्षेत्रिय वन अधिकारी भगवतसिंह चूंडावत के नेतृत्व में गणना को लेकर सभी तैयारिया पूरी की जा चुकी है। वन क्षेत्र में वन्य जीवों की गणना वाटर हॉल पद्धति से की जाएगी। इसके लिए वाटर हॉल चुन लिए गए हैं। चिन्हित वाटर हॉल पर मचान बनाई गई है। चिन्हित वाटर हॉल पर वनकर्मियों के साथ एक-एक वन्यजीव प्रेमी भी बैठ सकेंगे।
कार्यशाला में लिया प्रशिक्षण
क्षेत्रिय वन अधिकारी चूण्डावत ने बताया कि रेंज के सभी वनकर्मियों को 11 मई को राजसमन्द में आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में भेजा गया था। जहां वन्य जीव गणना का महत्व, वन्य जीवों की पहचान तथा गणना के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के संदर्भ में विशेष प्रशिक्षण दिया गया।
बन सकते हैं सहयोगी
वन्यजीव गणना में वन्यजीव संरक्षण में जिज्ञासा रखने वाले व्यक्ति, संस्था, स्काऊट-गाइड भाग ले सकते हैं लेकिन इसके लिए कोई मानदेय की व्यवस्था नहीं है। यह पूर्णत सहयोग पर आधारित होता है। अगर आप भी वन्यजीव गणना का हिस्सा बनना चाहते है तो नजदीक ही वन विभाग कार्यालय में प्रार्थना पत्र देकर भाग ले सकते है। इसके लिए पुरी तरह से वन विभाग के नियमों का पालन करना होता है।
इसलिए होती है मई में गणना
मई महिना में भीषण गर्मी का दौर होता है ऐसे में वन्यजीव 24 घंटों में एक बार वाटर हॉल पर प्यास बुझाने अवश्य आता है। इस दौरान पेड़ों की ओट में मचान पर बैठे वनकर्मी और सहयोगी वन्यजीवों को आसानी से देख सकते हैं।
बारिश कर सकती है आंकड़े प्रभावित
बीती रात को क्षेत्र में अंधड़ के बाद तेज बौछारें गिरी थी। 24 घंटों में बारिश होती है तो 18 से 19 मई को होने वाली वन्यजीव गणना के आंकड़े प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो बारिश के कारण वन्य जीवों को अपने आश्रय स्थल पर ही जल उपलब्ध हो जाता है। ऐसे में वे गणना के लिए बनाए गए वाटर हॉल पर नहीं आते हैं।

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