पौधे के साथ ही किसानों का दर्द भी बढ़ गया है।
किसानों की मानें तो खिंवाडा में प्रत्येक किसान के पास औसत 7-10 बीघा खेत हैं। किसानों ने 1400 रुपए प्रतिकिलो ग्राम के हिसाब से बीज खरीदा। यह बीज 10 बीघा जमीन में 5 किलोग्राम पड़ता है। इसके बाद किसान द्वारा खेत में खड़ाई, रूपाई, सिंचाई व श्रमिकों को लगाने में 2 लाख से ज्यादा का खर्च हो गया। किसानों को उम्मीद थी कि उन्हे खेतों
में होने वाले कपास से इस साल लाखों की कमाई होगी लेकिन, इस बार किसाना को नुकसान के अलावा कुछ नहीं मिला।
अच्छी कमाई की आस में हमने कपास की फसल बोई, लेकिन आज हमारी कपास की फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है। केसाराम चौधरी, सोहनलाल घंाची, जोरसिंह राठौड़, नरपतसिंह कुम्पावत, भानाराम चौधरी, ख्ंिावाड़ा, उदाराम चौधरी
क्षेत्र में किसानों की खराब हुई कपास की फसल के पौधों की जांच करने के लिए प्रयोगशाला में भेज दिए गए हैं। वहां से रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ बता सकते है। -गणपतसिंह, कृषि पर्यवेक्षक, खिंवाड़ा
जैतारण। क्षेत्र में इस बार एक तरफ पर्याप्त बारिश नहीं हुई। संजीवनी की फुहारों से फसलों से थोड़ी उ मीद बंधी तो अब फसलों पर कीट का प्रकोप शुरू हो गया है। राबडियावास निवासी हीरालाल माली ने बताया कि मूंग की फसल में रस चूसक कीट का प्रकोप शुरू हो गया है। यह कीड़ा पौधे के पत्तों को काट देता है, जिससे पौधे के पत्ते पीले पड़ रहे हैं।
इसके अलावा मूंग की फसल मे सफेद मक्खी, लट व माथाबंदी का भी प्रभाव है। माथाबंदी से फलियां आनी शुरू होते ही कीट लार से माथा बांध लेते हैं। इससे फाल में कमी आती है। ग्राम पंचायत सांगावास में स्थित झुझण्डा निवासी श्रवणलाल जाट फौजी ने बताया कि फसल में तितली की तरह फूंदी कीट व मच्छर पैदा हो गए हैं।
इस नुकसान के बाद किसानों की समस्या जानें तो उनका दर्द इससे भी ज्यादा है। अपने खेतों में लाखों का नुकसान होने के बाद भी यह किसान अपनी पीड़ा किसी को नहीं बता पा रहे हैं।
किसानो को मोनोफोटोफास एक लीटर की दर से हवा के विपरीत दिशा में खड़े रहकर छिडक़ाव करना चाहिए। फसल में बीमारी दिखे तो तत्काल कृषि पर्यवेक्षक से सलाह लेकर कीटनाशक का छिडक़ाव करना चाहिए। ताकि बीमारी का तुरंत रोकथाम संभव हो सके। -भीमाराम जोशी, सहायक कृषि अधिकारी जैतारण