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समाज की पहल पर कुप्रथा मिटाने की तरफ बढ़ाया कदम

-गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज में की गई पहल

पालीNov 05, 2018 / 08:36 pm

Suresh Hemnani

Gurjar Gaur Brahmin Samaj Pali

समाज की पहल पर कुप्रथा मिटाने की तरफ बढ़ाया कदम

पाली। किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद मृत्यु भोज व अन्य लेन-देन के रिवाज को समाप्त करने में गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज ने बड़ा कदम उठाया है। समाज की ओर मृत्यु भोज को बंद तो नहीं किया गया, लेकिन उसे सीमित कर दिया गया है। वहीं मृत्यु के बाद अफीम आदि की मनुहार की परम्परा को भी समाप्त करने की पहल की गई है।
समाज के सिंधी कॉलोनी निवासी श्यामलाल तिवारी के पुत्रों मनोज तिवारी, कमल तिवारी व ललित तिवारी ने सबसे पहले समाज में यह पहल की है। उन्होंने घर में मृत्यु के बाद मृत्यु भोज को सीमित करते हुए सांत्वना देने आने वाले केवल नजदीकी रिश्तेदारों को ही भोजन करवाया। वहीं इस मौके पर की जाने वाली नशे की मनुहार भी किसी से नहीं की। उन्होंने अन्य समाजबंधुओं को भी ऐसा नहीं करने के लिए प्रेरित किया। उनकी इस पहल को समाजबंधुओं ने भी सराहा। समाज की ओर से तीनों भाइयों का कुप्रथा का त्याग करने पर बहुमान किया। इस अवसर पर देवराज शर्मा, छगनलाल डिडवानिया, मूलचंद उपाध्याय, छगनलाल भारद्वाज, अशोक गौड़, रमेशकुमार उपाध्याय, राधेश्याम त्रिवेदी, मुनालाल सिवाल, राजेन्द्र उपाध्याय, कन्हैयालाल नाबरिया, नरेन्द्र कुमार नाबरिया, भास्कर पंचारिया सोजतरोड, मनोज जोशी आदि मौजूद थे।
इसलिए किया ऐसा
समाजबंधुओं का कहना है कि समाज में कई लोगों को उधार रुपए लाकर मृत्यु के बाद भोज करना पड़ता है। लेण आदि की प्रथा को पूरा करना पड़ता है। कई समाजबंधु ऐसा करने में अक्षम भी होते है। वहीं दुख के समय व्यक्ति भोज करे यह बेहतर नहीं है। इसी भावना के कारण इन प्रथाओं को सीमित करने और बंद करने का निर्णय किया गया है। जिसकी पहल श्यामलाल तिवारी परिवार ने की है।
इन प्रथाओं को किया बंद या सीमित
-मिठाई सीमित कर दी (परिजनों को भोजन कराने में मिठाई नहीं बनाए या एक ही बनाए)
-लेण प्रथा को बंद किया (बर्तन देने की प्रथा)
-मृत्यु भोज में नजदीकी रिश्तेदारों को ही बुलाना
-नशा नहीं करने का प्रण किया
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