पाली

Holi 2024 : राजस्थान के इस शहर में होली पर मौजीराम बनते दूल्हे, सज धजकर बाराती बन पहुंचते ग्रामीण

Holi 2024 : पाली जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर बूसी गांव में सदियों पुरानी परम्परा को संजोते हुए आज भी मौजीराम व मौजनी देवी के विवाह समारोह का साक्षी बनता है।

पालीMar 22, 2024 / 03:15 pm

Rakesh Mishra

Holi 2024 : पाली जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर बूसी गांव में सदियों पुरानी परम्परा को संजोते हुए आज भी मौजीराम व मौजनी देवी के विवाह समारोह का साक्षी बनता है। होली दहन के दूसरे दिन धुलंडी पर ग्रामीणों की ओर से प्रतिवर्ष धूमधाम से बारात निकाली जाती है। विधि-विधान से विवाह करवाया जाता है। उसके बाद मौजीराम तथा मोजनी देवी बिछड़ जाते हैं। ग्रामीणों के अनुसार गांव में ये परम्परा करीब पांच सौ साल से कायम है। माना जाता है कि 500 वर्ष पूर्व बूसी गांव के जैन बोहरा परिवार की ओर से मौजीराम व मोजनीदेवी की मूर्ति की स्थापना की गई। मौजीराम को भगवान शंकर का रूप माना जाता है। ब्रह्मपुरी में मौजनी देवी की प्रतिमा स्थित है। मौजनी देवी की वर्तमान में तीन फीट की प्रतिमा है। मान्यता के अनुसार जो भी यहां मन्नत मांगते हैं। उनकी मन्नत पूरी होती है। मौजीराम का विवाह समारोह धुलण्डी के दिन शाम 5-6 बजे नारियल चढ़ाकर विशेष पूजा-अर्चना से शुरू होता है। गांव व आस-पास के गांवों के लोग शादी समारोह में भाग लेते हैं।
भजनों में गाते हैं महिमा
रावले के बाहर करीब एक घंटे तक कथा के बाद बारात गाजे-बाजे से रवाना होती है। जो कुम्हारों वास से गुजरती है। इस दौरान गली-मोहल्लों में छतों से लोग रंग, गुलाल व पुष्प वर्षा करते हैं। बारात ब्रह्मपुरी में मोजनी देवी के घर पहुंचने पर औरतें पुष्प वर्ष व गालियों से दूल्हे का स्वागत करती हैं। यहां हिन्दू परम्परानुसार मोजनी देवी की मोजीराम से विवाह होता है।
कंधे पर निकलती है बंदोली
बंदोली में मौजीराम को घोड़े पर नहीं बैठाकर एक व्यक्ति अपने कंधे पर उठाता है। बन्दोली की शुरुआत जैन मन्दिर से होती है। यहां से बारात सुनारों के बास में जाकर रुकती है। यहां सोनीजी की ओर से सोने के आभूषण पहनाए जाते हैं। फिर बंदोली वापस वर के घर पहुंचती है। जहां मौजीराम का स्वागत धूमधाम से होता है। रावले के बाहर चौक में बिठाकर मौजीराम की कथा वाचन होता है।
एक माह पहले तैयारी में जुटते हैं ग्रामीण
मौजीराम व मौजनी देवी के विवाह महोत्सव की तैयारियों में युवा एक माह पूर्व ही लग जाते हैं। लोगों को पीले चावल व पत्रिका देकर आमंत्रित करते हैं। मौजीराम व मौजनी देवी की प्रतिमाओं पर विभिन्न रंगों, पदार्थों व सुगंधित द्रव्यों की ओर से श्रृंगार करते हैं। जो सुन्दर, विचित्र व मनमोहक परम्परा है।

मैं 72 साल का हूं। जब से मैंने इनके विवाह की रस्म देखी है। यह परम्परा उसी प्रकार चली आ रही है। इसमें सभी धर्मों के लोग उत्साहपूर्वक भाग लेते है।
गणपतसिंह, ग्रामीण

यह भी पढ़ें

Holika Dahan 2024 : 24 मार्च को भद्रा का साया, जानिए होलिका दहन का सबसे शुभ मुहूर्त

Home / Pali / Holi 2024 : राजस्थान के इस शहर में होली पर मौजीराम बनते दूल्हे, सज धजकर बाराती बन पहुंचते ग्रामीण

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.