मध्यप्रदेश से आए वायरस से लील ली सैकड़ों मवेशियों की जान
– बीमारी से 350 से अधिक मवेशियों की मौत
मध्यप्रदेश से आए वायरस से लील नहीं सैकड़ों मवेशियों की जान
पाली/इटन्दरा मेड़तियान. इटन्दरा मेड़तियान गांव में अज्ञात बीमारी से एक के बाद एक ३५० से अधिक भेड़-बकरियों की मौत होने से पशुपालक आर्थिक रूप से टूट गए हैं। बीमारी का पता लगाने स्थानीय पशु चिकित्सक सहित जोधपुर से एक टीम पहुंची। जिसने मवेशियों के रक्त के सैंपल लिए। इधर, पशुपालकों ने जिला कलक्टर से मुआवजे की मांग की है।पशुपालकों के अनुसार पिछले कुछ दिनों में भेड़-बकरियां काली दस्त करने लगी तथा कमजोरी से मर गई। जिनमें छोटे भेड़-बकरियों की संख्या अधिक है। मवेशियों के मरने का सिलसिला बंद नहीं हुआ तो उन्होंने स्थानीय पशु चिकित्सक को जानकारी दी। इस पर मंगलवार को जोधपुर से एक टीम आई। जिसने बीमार भेड़-बकरियों के रक्त के सैंपल लिए। क्षेत्र में ३५० से अधिक मवेशी मर चुके हैं।
जिला कलक्टर से लगाई गुहार
मवेशियों से मरने से परेशान पशुपालक जिला कलक्टर से मिले। उन्होंने पशुपालन विभाग से नि:शुल्क उपचार उपलब्ध करवाने की मांग की। इसके साथ ही पशुधन का नुकसान होने के चलते सरकारी आर्थिक सुविधा उपलब्ध करवाने, पशुओं को बीमा व्यवस्था करवाने, पशुओं में फैले इस रोग को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करवाने की मांग की। उन्होंने बताया कि पशुपालक विराराम देवासी, मानाराम देवासी, दुदाराम, नेमाराम, फगाराम, सोहनलाल, ढलाराम, बुधाराम, भोपाराम, गणराम सहित कई अन्य पशुपालकों के मवेशी मरे है।
सरकार सहायता राशि दे तो मिले राहत
७० से अधिक मवेशी बीमार से मर गए है। मेरी तो आजीविका का साधन ये पशु ही थे। सरकार की तरफ से कुछ आर्थिक सहायता मिले तो राहत मिले।
वीराराम देवासी, पशुपालक इटन्दरा मेड़तियान
वायरल से हुई मवेशियों की मौत
हाल में कई पशुपालक मध्यप्रदेश से मवेशियों को लेकर गांव आए। मौसम बदलने से इनमें से कुछ मवेशियों में वायरल इंफेक्शन (पीपीआर) हो गया। जिससे अन्य पशुओं में भी यह रोग फैल गया। इस रोग में पशुओं के मुंह में छाले हो जाते हैं, निमोनिया व हथेलियों में डायरिया हो जाता है। जोधपुर से आई टीम ने पशुओं के रक्त के सैंपल लिए है। उपचार जारी है।
डॉ. नरेन्द्र ठाकरे, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु चिकित्सालय बूसी
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