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पाली

जेलो में बंद कैदियों को दी जाने वाली कम्बल कैसे फैला रही है कैदियों में ये रोग…यहां पढ़े खबर

– ज्यादा धुलाई में खराब हो जाती है बंदियों की कम्बल, इस डर से धुलाई नहीं
– अब बंदियों को लग रही खुजली की बीमारी

पालीMay 18, 2018 / 01:10 pm

rajendra denok

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जेलो में बंद कैदियों को दी जाने वाली कम्बल कैसे फैला रही है कैदियों में ये रोग…यहां पढ़े खबर

पाली. प्रदेश की जेलों में बंदियों को दी जाने वाले कम्बल खुजली की बीमारी फैला रही हैं। ये कम्बल घटिया क्वालिटी के होने के कारण इनकी धुलाई सालभर में एक बार भी मुश्किल से हो पाती है। इस कारण अब बंदियों में खुजली जैसे रोग फैलने लगे हैं। गर्मी में बंदियों में यह बीमारी सबसे अधिक फैल रही है। जेल प्रशासन भी इसको लेकर हैरान है। कम्बल अच्छी क्वालिटी की देने व इसकी धुलाई के पुख्ता प्रबंध करने की शिकायतें बंदियों ने भी की है, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। बंदियों का उपचार जेलों की डिस्पेंसरी में ही करवाया जा रहा है, ताकि यह मसला बाहर न जाए।
बड़ी जेलों का बुरा हाल

प्रदेश में अजमेर की हाई सिक्यूरिटी जेल सहित जयपुर, जोधपुर , अजमेर, उदयपुर , बीकानेर , कोटा , भरतपुर व श्रीगंगानगर सेंट्रल जेल में यही हाल हैं। जेलों में बंदियों को गर्मियों में 1 कम्बल ओढऩे व 2 कम्बल बिछाने के लिए दिए जाते हैं। आमतौर पर बंदी समय पर स्नान कम करते है और न शरीर की सफाई पर ध्यान दे पाते हैं। ऐसे में उन्हें चर्म रोग होने की आशंका अधिक रहती है। खतरा तब और बढ़ जाता है जब कोई चर्म रोगी बंदी की ओढ़ी गई कम्बल अन्य बंदी को दे दी जाती है। कम्बलों को धोने के लिए कोई ठेका नहीं होता। ये कम्बल बंदियों को ही धोने पड़ते हैं। इसके लिए बंदियों को सोडा दिया जाता है। सफाई के लिहाज से माह में दो बार यह कम्बल धुलनी चाहिए। हाल ही में गर्मी के दिनों में बंदियों ने कम्बल धोए तो कम्बल खराब होने लगी, ऐसे में जेल प्रशासन ने ही इसे कम धोने की हिदायतें दे दी। इसका नतीजा यह हो रहा है कि जेलों में खुजली जैसा रोग पैर पसारने लग गया। जेल प्रशासन अब इन कम्बल को बदल भी नहीं रहा है।
ए व बी क्लास जेलों में हालात और भी बदतर

प्रदेश में अलवर, धौलपुर व टोंक में ए क्लास और पाली, बांसवाड़ा, बरन, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बूंदी, चूरू, दौसा, डूंगरपुर, सवाई माधोपुर, जैसलमेर , जालोर, झालावाड़, राजसमंद, सिरोही, झुंझुनूं, नागौर, प्रतापगढ़, सीकर, हनुमानगढ़, चित्तौडगढ़़ व करौली में बी क्लास की जिला जेल हैं। छोटी जेलों में बंदियों के उपचार की व्यवस्था भी कम है। ऐसे में गर्मी में खुजली की सजा बिना वजह बंदियों को मिल रही है।
अब तो घर से भी लाने की इजाजत

कम्बल की खरीद मुख्यालय से होती है। ये कम्बल बंदियों को ही धोने होते हैं। कई बार बंदी समय पर नहीं धो पाते, इस कारण दिक्कत हो सकती है। छोटी जेलों में खुजली जैसे मरीज हो सकते हैं। उपचार के लिए पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं है। उपचार में लापरवाही नहीं बरती जाती है। अब तो बंदियों को बिछाने के लिए अन्य कपड़ा लाने की भी इजाजत है।
– विक्रम सिंह, डीआईजी, जोधपुर

फैक्ट फाइल – प्रदेश की जेलें

8- सेंट्रल जेल

3- ए क्लास की जेल

22- बी क्लास जेल

3- कम्बल गर्मी में हर बंदी को
4 – कम्बल सर्दी में बंदी को

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