बड़ी जेलों का बुरा हाल प्रदेश में अजमेर की हाई सिक्यूरिटी जेल सहित जयपुर,
जोधपुर , अजमेर,
उदयपुर ,
बीकानेर ,
कोटा , भरतपुर व श्रीगंगानगर सेंट्रल जेल में यही हाल हैं। जेलों में बंदियों को गर्मियों में 1 कम्बल ओढऩे व 2 कम्बल बिछाने के लिए दिए जाते हैं। आमतौर पर बंदी समय पर स्नान कम करते है और न शरीर की सफाई पर ध्यान दे पाते हैं। ऐसे में उन्हें चर्म रोग होने की आशंका अधिक रहती है। खतरा तब और बढ़ जाता है जब कोई चर्म रोगी बंदी की ओढ़ी गई कम्बल अन्य बंदी को दे दी जाती है। कम्बलों को धोने के लिए कोई ठेका नहीं होता। ये कम्बल बंदियों को ही धोने पड़ते हैं। इसके लिए बंदियों को सोडा दिया जाता है। सफाई के लिहाज से माह में दो बार यह कम्बल धुलनी चाहिए। हाल ही में गर्मी के दिनों में बंदियों ने कम्बल धोए तो कम्बल खराब होने लगी, ऐसे में जेल प्रशासन ने ही इसे कम धोने की हिदायतें दे दी। इसका नतीजा यह हो रहा है कि जेलों में खुजली जैसा रोग पैर पसारने लग गया। जेल प्रशासन अब इन कम्बल को बदल भी नहीं रहा है।
ए व बी क्लास जेलों में हालात और भी बदतर प्रदेश में अलवर, धौलपुर व टोंक में ए क्लास और पाली, बांसवाड़ा, बरन, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बूंदी, चूरू, दौसा, डूंगरपुर, सवाई माधोपुर,
जैसलमेर , जालोर, झालावाड़, राजसमंद, सिरोही, झुंझुनूं, नागौर, प्रतापगढ़, सीकर, हनुमानगढ़, चित्तौडगढ़़ व करौली में बी क्लास की जिला जेल हैं। छोटी जेलों में बंदियों के उपचार की व्यवस्था भी कम है। ऐसे में गर्मी में खुजली की सजा बिना वजह बंदियों को मिल रही है।
अब तो घर से भी लाने की इजाजत कम्बल की खरीद मुख्यालय से होती है। ये कम्बल बंदियों को ही धोने होते हैं। कई बार बंदी समय पर नहीं धो पाते, इस कारण दिक्कत हो सकती है। छोटी जेलों में खुजली जैसे मरीज हो सकते हैं। उपचार के लिए पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं है। उपचार में लापरवाही नहीं बरती जाती है। अब तो बंदियों को बिछाने के लिए अन्य कपड़ा लाने की भी इजाजत है।
– विक्रम सिंह, डीआईजी, जोधपुर फैक्ट फाइल – प्रदेश की जेलें 8- सेंट्रल जेल 3- ए क्लास की जेल 22- बी क्लास जेल 3- कम्बल गर्मी में हर बंदी को
4 – कम्बल सर्दी में बंदी को