महोत्सव में आचार्य नित्यानंद सूरीश्वर ने कहा कि जीवन में परमात्मा का स्वरूप देखने के बाद किसी अन्य पदार्थ व जीव को देखने की चाह नहीं रहती है। प्रभु के दर्शन से जीव के पाप समाप्त हो जाते हैं। हृदय में शांति का अनुभव होता है। मन निर्मल हो जाता है। जीवन के अवगुण समाप्त हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सदैव धर्म के पथ पर चलना चाहिए। इसी से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
धार्मिक अनुष्ठानों में झलकी श्रद्धा
महोत्सव में कई धार्मिक अनुष्ठान करवाएं गए। इसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। महोत्सव के साक्षी बनने के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में प्रवासी भी पहुंचे है। श्रावक-श्राविकाओं ने मुनि मोक्षानंद विजय, मुनि भाग्यचंद्र विजय, मुनि पदम् श्रीविजय, साध्वी पूर्णिमा प्रज्ञा, साध्वी सिद्ध प्रज्ञा से आशीर्वाद लिया।
इस मौके गौतमचंद सालेचा, किरण बाला सालेचा, अशोक कुमार, अजीत कुमार, पाली डेयरी के प्रबंध संचालक डॉ. करुण चंडालिया, अशोक सिंह, विजय, सुरेंद्र सी. शाह बैगलूरु आदि मौजूद थे। संगीतकार प्रतीक गेमावत, जगदीश आचार्य ने भक्ति गीत पेश किए।