नगर में पति के जीवन को बचाने के लिए साक्षर महिला गंगादेवी ने अपने लीवर का 40 प्रतिशत हिस्सा पति को गुडगांव के अस्पताल में दान कर दिया। जो अपने आप में एक मिसाल है। गंगादेवी कहती हैं कि दुनिया में मां-बाप के बाद स्त्री के लिए सबसे बड़ा रिश्ता पति का होता है। पति अगर विपत्ति में है व पत्नी पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए उसको निभाना ही स्त्री धर्म है। मैंने उसकी पालना कर मेरे पुत्र, पुत्री व ननदों को लीवर देने से मना करते हुए खुद ने मैच होने पर पति के लिए लीवर का 40 प्रतिशत हिस्सा दिया। जिसे देकर मैं अपने आपको सौभाग्यशाली महसूस कर रही हूं।
बाली के सब ट्रेजरी ऑफिस में सहायक लेखा अधिकारी के पद पर तैनात वरदाराम चौधरी जो जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार के व्यसन के नजदीक तक नहीं गए। उसके बाद भी उन्हें लीवर की बीमारी हुई, जिसका सामना करते हुए परिवार व रिश्तेदारों ने करीब 40 लाख रूपए तक उपचार में खर्च किए।
जिसमें मरीज के नाते वरदाराम चौधरी ने भी अपना आत्मविश्वास बनाए रखा। विभिन्न अस्पतालों में जांच के बाद भारत के गुडगांव स्थित मैदान्ता अस्पताल में लीवर को ठीक करने के लिए लीवर के हिस्से की आवश्यकता पड़ी। डॉक्टर ने बताया कि लीवर का 40 प्रतिशत हिस्सा ट्रांसप्लांट किया जा सकता है। लिया हुआ हिस्सा करीब तीन माह में वापस बॉडी स्वत: विकसित कर पूर्ण लीवर हो जाता है। शरीर में लीवर एक ऐसा पार्ट है जो एक ही होता है। इसके ट्रांसप्लांट में इसका हिस्सा लिया जाता है। डाक्टर की बात से प्रभावित होकर स्वयं गंगादेवी ने लीवर का हिस्सा पति को देने का निर्णय किया। जिसकी बदौलत 17 जनवरी 2019 को पत्नी गंगादेवी व पति वरदाराम चौधरी दोनों की शल्य चिकित्सा की गई। आज दोनों स्वस्थ हैं। परिवार में खुशी का माहौल है।
गंगादेवी का संदेश
अगर कोई भी पत्नी अपने पति के धर्म को निभाने में पहल करती हैं तो जीवन में कभी भी पत्नी व पति के मध्य विवाद की स्थिति पैदा नहीं होगी। विषम परिस्थितियों में पति का साथ देना हर पत्नी का कत्र्तव्य होना चाहिए। जिससे आने वाली पीढ़ी को एक सकारात्मक संदेश मिल सके। वे भी आपस में एक दूसरे के दुख-सुख के साथी बन कर अपने दाम्पत्य जीवन को सुखी बना सकें।