scriptमाता की ज्योत से निकलता है केसर रंग | Navratri Festival 2020 special in Pali Rajasthan | Patrika News
पाली

माता की ज्योत से निकलता है केसर रंग

शारदीय नवरात्र विशेष :

पालीOct 19, 2020 / 09:01 am

Suresh Hemnani

माता की ज्योत से निकलता है केसर रंग

माता की ज्योत से निकलता है केसर रंग

-हिमांशु पलोड़
पाली/रानी। नवरात्र अर्थात माता की उपासना का पर्व। मान्यता है कि नवरात्र के नौ दिन माता अपने भक्तों पर कृपा बरसाती है। ऐसे में शक्ति स्थलों पर भी लोग अपनी मनोकामना लेकर माता के दरबार को पहुंचते हैं। इन मान्यताओं और लोक कथाओं के माध्यम से क्षेत्र में ऐसे कई स्थल हैं जहां नवरात्र में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
ऐसा ही एक माता का स्थान रानी उपखण्ड के रानीकलां गांव की पहाड़ी पर स्थित है। जहां चामुण्डा माता की महिमा अपरम्पार है। नवरात्र के नौ दिनों में यहां बडी संख्या में लोग पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं। मंदिर में गेंहू कि घूगरी एवं मात का विशेष भोग लगता है। बताया जाता है कि यह माता का स्थान भाद्रजून थुमड़ा माता के स्थान का प्रतिरूप है। जो रियासतकाल में जोधपुर रियासत द्वारा सर सुखदेव प्रसाद काक को रानीकलां की जागीर मिलने के बाद हुए किले के निर्माण के समय भी माता स्थान मौजूद था। जिसे बाद में भव्य मंदिर के रूप में बनाया गया।
मंदिर के पुजारी परिवार के मोहनसिंह राजपुरोहित ने बताया कि इस वर्ष मंदिर समिति एवं ग्रामीणों द्वारा कोविड दिशा निर्देशों के अनुरूप दर्शन की व्यवस्था करवाई है। मंदिर की एक खासियत यह भी है कि इसके स्थापित अखण्ड जोत का धुआं काला नहीं होता है। उसका कार्बन केसर के रंग का होता है। मान्यता है कि पुजारी परिवार की एक वृद्ध महिला किसी समय मंदिर में दीपक करती थी। उसे दीपक के नीचे प्रतिदिन एक सोने का सिक्का मिलता था।
महिला को माता का वरदान था कि जब कभी इस रहस्य का पर्दा उठ जाएगा तक सिक्क्का मिलना बन्द हो जाएगा। एक बार परिवारजनों एवं ग्रामीणों द्वारा परेशान करने पर वृद्ध महिला ने इस रहस्य की जानकारी उजागर कर दी। तब से अखण्ड जोत से सिक्का मिलना बन्द हो गया, लेकिन चमत्कार स्वरूप उसका धुआं एवं कालिख केसर के रंग की हो गई। जो आज भी मंदिर में आस्था की जोत के रूप में विद्यमान है।

Home / Pali / माता की ज्योत से निकलता है केसर रंग

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो