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पाली

आमजन ने उठाई आवाज, ऐतिहासिक दुर्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत

-दुर्ग में राव मालदेव, राव चंद्रसेन, जैता कुंपा, दुर्गादास राठौड़ जैसे वीर योद्धाओं की प्रतिमाएं लगाने की मांग

पालीJan 16, 2022 / 04:00 pm

Suresh Hemnani

आमजन ने उठाई आवाज, ऐतिहासिक दुर्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत

आमजन ने उठाई आवाज, ऐतिहासिक दुर्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत

पाली/सोजत। पाली जिले के सोजत नगर के ऐतिहासिक दुर्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए सामाजिक संस्थाओं अभिनव कला मंच, वरिष्ठ नागरिक समिति, सोजत सेवा मंडल, भारत विकास परिषद, मानव सेवा समिति, पेंशनर समाज, मेहंदी दलाल एसोसिएशन ने अवाज उठाई है। उन्होंने ऐतिहासिक दुर्ग को स्मारक बनाने के साथ वहां साइंस पार्क, रोप-वे, संग्रहालय, टेलीस्कोप लगाने की मांग की है। इसके साथ ही राव मालदेव, राव चंद्रसेन, जैता कुंपा, दुर्गादास राठौड़ जैसे वीर योद्धाओं की प्रतिमाएं लगाने की मांग उठाई है।
गौरवशाली इतिहास का प्रतीक
गुप्तकाल के समय निर्मित सोजत के दुर्ग को बाद के शासकों त्रवणसेन, राव मालदेव आदि ने मजबूत बनाया। इसी दुर्ग में राव मालदेव, राव चंद्रसेन आदि का राजतिलक हुआ। दुर्गादास राठौड़ की वीर माता नेत कंवर का दाह संस्कार भी हुआ था।
प्रतिमाएं लगे, पेनोरमा बने
सोजत के ऐतिहासिक दुर्ग के गौरवशाली इतिहास को अक्षुण रखने के लिए दुर्ग में वीर योद्धाओं की प्रतिमाएं एवं पेनोरमा बनाया जाए। – जगदीश परिहार, कन्हैयालाल शर्मा, वरिष्ठ नागरिक

रोप वे एवं टेलीस्कोप लगे
सोजत के ऐतिहासिक दुर्ग के शीर्ष पर टेलीस्कोप लगाया जाय। रोप वे एवं डिजिटल लाइब्रेरी एवं साइंस पार्क बनाया जाए। – बाबुलाल मेवाड़ा, क्षेत्रवासी।
पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो
ऐतिहासिक दुर्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर अतिरिक्त राजस्व प्राप्त किया जा सकता है। – महेश गहलोत, मेहंदी उद्यमी।

शोध केंद्र बनाया जाय
मारवाड़ के गौरवशाली अतीत के प्रतीक दुर्ग को विकसित कर भविष्य में शोधार्थियों के लिए विस्तृत लाइब्रेरी एवं कॉन्फ्रेस हॉल का निर्माण किया जाना चाहिए। – अनोपसिंह लखावत, सामाजिक कार्यकत्र्ता
स्मारक बने
मध्यकाल के कई वीर योद्धाओं ने अपनी मातृभूमि की मान मर्यादा की रक्षा के लिए हंसते-हंसते जान कुर्बान कर दी। ऐसे योद्धाओं के स्मारक के लिए दुर्ग से बढकऱ उपयुक्त स्थान कोई नहीं है। – नम्रता दवे, समाजसेविका

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