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पाली

रात में एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे 15 बच्चों का जीवन, स्टॉफ की कमी का रोना रो रहा अस्पताल प्रशासन

– रात में चिकित्सक भी बुलाने पर ही आते हैं

पालीJan 16, 2020 / 06:18 pm

Suresh Hemnani

रात में एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे 15 बच्चों का जीवन, स्टॉफ की कमी का रोना रो रहा अस्पताल प्रशासन

रात में एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे 15 बच्चों का जीवन, स्टॉफ की कमी का रोना रो रहा अस्पताल प्रशासन

पाली। नवजातों (प्रीमेच्योर बेबी) की जान को लेकर बांगड़ अस्पताल प्रबंधन अभी तक गंभीर नहीं है। एसएनसीयू वार्ड में भर्ती मासूमों के देखभाल का जिम्मा रात में महज एक नर्सिंगकर्मी पर है। किसी बच्चे की तबीयत बिगड़ जाए तो चिकित्सक को फोन कर बुलाना पड़ता है। जबकि यहां रात में कम से कम दो-तीन नर्सिंगकर्मी ड्यूटी पर होने चाहिए। इसे लेकर अस्तपाल प्रबंधन स्टॉफ का रोना रो रहा है।
पांच नर्सिंगकर्मियों का काम एक के कंधे पर
कोटा अस्पताल में शिशुओं की मौत के बाद राज्य के जिला अस्पतालों में एसएनसीयू वार्ड की स्थिति सुधारने को लेकर मुख्यमंत्री व चिकित्सा मंत्री तक गंभीर है। इसको लेकर राज्य लेवल पर एक कमेटी का भी गठन किया गया। जिसके जिम्मे अस्पतालों की व्यवथाओं में सुधार करवाना है। इसके बावजूद बांगड़ अस्पताल में बने एसएनसीयू वार्ड की व्यवस्था में अपेक्षित सुधार करने को लेकर अभी तक बहुत कुछ किया जाना शेष है। वार्ड में वर्तमान में 15 वॉर्मर पर 15 शिशु भर्ती है। कहने को तो तीन वॉर्मर पर एक नर्सिंगकर्मी की ड्यूटी होनी चाहिए। इस हिसाब से वार्ड में हर समय कम से कम पांच नर्सिंगकर्मी होने चाहिए। जबकि स्थिति यह है कि सुबह व दोपहर में दो नर्सिंगकर्मी तथा रात में महज एक नर्सिंगकर्मी रहता है।
एक बच्चे की देखभाल में लगता है आधा घंटा
वार्ड में वर्तमान में 15 बच्चे भर्ती है। नर्सिंगकर्मी का कार्य बच्चे के आईवी फ्यूड चढ़ाने, इंटीबायटिक देने, वॉर्मर पर लगी उनकी सीट बदलने, शिशु के डायपर की जांच या बदलने, एमजी ट्यूब से दूध पिलाने, वॉर्मर का तापमान देखने, बच्चे की सांस देखने, बच्चे का रंग देखने, शिशु की धडकऩ आदि देखना है। एक बार यह प्रक्रिया करने में नर्सिंगकर्मी को प्रति शिशु करीब आधा घंटा देना पड़ता है। इसके बाद भी पूरी रात बार-बार बच्चों की स्थिति देखनी होती है।
अब मां को पहने को दिए हेड कैप व मास्क
एनएससीयू वार्ड में बच्चों को दूध पिलाने जाने के दौरान अब मां को सिर पर हेड कैप, मुंह पर मास्क लगवाना तथा गाउन पहनाना शुरू किया गया है। जिससे की बच्चे संक्रमित न हो। इसके साथ ही वार्ड के बाहर तीनों शिफ्ट में गार्ड तैनात किया गया है। जिससे की वार्ड में हर कोई प्रवेश न करें ओर बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके।
नर्सिंगकर्मियों की कमी, फिर भी कर रहे प्रयास
प्रशिक्षण प्राप्त नर्सिंगकर्मियों की कमी है। इसलिए एसएनसीयू वार्ड में हर किसी नर्सिंगकर्मी को नहीं लगा रहे। वार्ड में पर्याप्त नर्सिंगकर्मी व चिकित्सक की ड्यूटी लगाने को लेकर कॉलेज प्रिंसिपल से चर्चा कर आगे की कार्रवाई करेंगे।
डॉ. ए.डी. राव, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, बांगड़ अस्पताल, पाली

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