गांव में बिजली नहीं होने के कारण शाम होते ही यहां के ग्रामीणों को भय लगने लगता है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण यहां आए दिन जंगली जानवरों सहित जहरीले जीवों का आतंक रहता है। आए दिन यहां पर रीछ, लोमड़ी सहित अन्य जानवर देखने को मिलते हैं। कई बार आबादी क्षेत्र में भी आ जाते हैं। सांप, बिच्छु सहित अन्य जहरीले जानवरों का भी भय रहता है। शाम होने पर पूरे गांव में अंधेरा छा जाता है।
ग्राम पंचायत झिंझार्डी के अंतर्गत आने वाले उपरली बभाण, निचली बभाण, धारेश्वर, रामाजी का वाडिया व वरोद गांव में करीब 1000 से ज्यादा घर हैं। लगभग 3000 लोगों की आबादी निवासरत है। जहां अभी तक विद्युत लाइन का विस्तार नहीं हो पाया है। शाम होते ही गांव में अंधेरा छा जाता है।
अतिआधुनिक उपरली बभाण, निचली बभाण, धारेश्वर, रामाजी का वाडिया व वरोद गांव में आज भी लोग चिमनी के सहारे अपना जीवन यापन कर रहे हैं। गांव में बिजली नहीं होने के कारण यहां के ग्रामीण शाम होने पर चिमनी सहित अन्य जतन कर घरेलु काम करते हैं। लोग दिन ढलने से पहले ही अपना कार्य समाप्त कर लेते हैं। हालांकी कुछ घरों मे सौर ऊर्जा वाले उपकरण लगे हुए हैं परन्तु कई घरों में अब भी अंधेरा है।
इन गांवों में बिजली नहीं होने के कारण गर्मी में ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। प्राकृतिक हवा ही इनका सहारा है। हाथ पंखी सहित अन्य संसाधनों का उपयोग किया जाता है। सर्दी के मौसम में तो कोई परेशानी नहीं होती परन्तु गर्मी व बरसात के मौसम में काफी दिक्कतें आती हैं।
गांव के नेटवर्क नहीं होने के कारण लोगों को मोबाइल का लाभ नहीं मिल पा रहा है। नेटवर्क के लिए ग्रामीणों को ऊंचे पहाड़ तक चढऩा पड़ता है, तब जाकर कुछ नेटवर्क मिल पाता है। ऐसे में यहां के विद्यार्थियों को कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई से भी वंचित रहना पड़ रहा है।
-इन गांवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है। इसको लेकर डिस्कॉम से इसकी एप्रुवल मंगवाई। उसके बाद एक पत्र बनाकर उपखण्ड अधिकारी के पास भिजवाया गया। उपखण्ड अधिकारी से एनओसी लेकर वन विभाग के पास भिजवाया गया है। वहीं वन विभाग से राजस्थान सरकार को भिजवाया गया है। इसको लेकर बनाई गई कमेटी का मैं सदस्य हूं। इसके लिए जल्द ही प्रयास करके इन गांवों में विद्युतीकरण करवाया जाएगा। –खुशवीरसिंह जोजावर, विधायक, मारवाड़ जंक्शन