अब यह समझ से परे है कि उस मकान बनाने वाले ने एक ही दिन में छह लाख रुपए का काम कैसे कराया। इसका कारण यह है कि उसे लगातार दो दिन में ढाई लाख व छह लाख रुपए का ऋण दिया गया। ऐसा शहर के एक जने के साथ नहीं 12 जनों के साथ हुआ। इसमें बड़ी बात यह है कि एजेंट ने बैंककर्मी से मिलीभगत से जिन 12 मकानों का निर्माण शुरू करवाने के लिए राशि ली, उनका आज तक निर्माण पूरा नहीं हुआ है। जबकि बैंक पूरी राशि जारी कर चुका है।
पहली ही किस्त 10.50 लाख की
राजेन्द्र नगर निवासी गणेश कुमार ने एजेंट के जरिए होम लोन स्वीकृत करवाया। बैंक ने पहली किस्तरूप में ही 7 नवम्बर 2016 को 10.50 लाख रुपए खात में जमा करवा दिए। जबकि ऋण ही 15 लाख रुपए का था। दूसरी किश्त 29 दिसम्बर 2016 को 2.70 लाख व अंतिम किस्त 15 फरवरी 2017 को 1.80 लाख रुपए ऋण लेने वाले के जमा करवा दिए। जबकि अभी तक वर्तमान में भी मकान का काम अधूरा पड़ा है।
राजेन्द्र नगर निवासी गणेश कुमार ने एजेंट के जरिए होम लोन स्वीकृत करवाया। बैंक ने पहली किस्तरूप में ही 7 नवम्बर 2016 को 10.50 लाख रुपए खात में जमा करवा दिए। जबकि ऋण ही 15 लाख रुपए का था। दूसरी किश्त 29 दिसम्बर 2016 को 2.70 लाख व अंतिम किस्त 15 फरवरी 2017 को 1.80 लाख रुपए ऋण लेने वाले के जमा करवा दिए। जबकि अभी तक वर्तमान में भी मकान का काम अधूरा पड़ा है।
ऐसे होती है ऋण राशि जारी
मकान की नींव भरने के बाद डीपीसी लेवल तक निर्माण कार्य होने पर बैंक की ओर से प्रथम किस्त जारी की जाती है। बैंक अधिकारी मौके पर जाकर निर्माण कार्य का जायजा लेते हैं। उसकी फोटोग्राफी करवाकर ले जाते हैं। दूसरी किस्त मकान की छत पडऩे पर जारी होती है। इसमें देखा जाता है कि पूर्व में जो किस्त जारी की गई है उतनी राशि का निर्माण कार्य हुआ है या नहीं। अंतिम किस्त मकान निर्माण कार्य पूरा होने पर जारी की जाती है।
मकान की नींव भरने के बाद डीपीसी लेवल तक निर्माण कार्य होने पर बैंक की ओर से प्रथम किस्त जारी की जाती है। बैंक अधिकारी मौके पर जाकर निर्माण कार्य का जायजा लेते हैं। उसकी फोटोग्राफी करवाकर ले जाते हैं। दूसरी किस्त मकान की छत पडऩे पर जारी होती है। इसमें देखा जाता है कि पूर्व में जो किस्त जारी की गई है उतनी राशि का निर्माण कार्य हुआ है या नहीं। अंतिम किस्त मकान निर्माण कार्य पूरा होने पर जारी की जाती है।
दो माह में लगभग पूरी राशि दे दी
कमला नेहरू नगर निवासी नरेश कुमार पुत्र कमलेश शर्मा को एक एजेंट ने राजेन्द्र नगर क्षेत्र में पट्टासुदा भूखण्ड पर 11 लाख रुपए में मकान बनाकर देने को कहा। एजेंट ने पाली सैंट्रल को ऑपरेटिव बैंक की लक्ष्मी मार्केट शाखा ऋण स्वीकृत करवाया। इसके बाद बैंक ने पहली किस्त 10 जुलाई 2017 को 4.5 लाख, 17 जुलाई 2017 को दूसरी किश्त 2.5 लाख रुपए दिए। 18 जुलाई 2017 को तीसरी किस्त के रूप में छह लाख जमा करवा दिए फिर 4 अगस्त 2017
को चौथी किस्त के 2.45 लाख, 11 अगस्त 2017 को 1.50 लाख व 3 अक्टूबर को 55 हजार रुपए ऋण लेने वाले के खाते में जमा करवाए।
कमला नेहरू नगर निवासी नरेश कुमार पुत्र कमलेश शर्मा को एक एजेंट ने राजेन्द्र नगर क्षेत्र में पट्टासुदा भूखण्ड पर 11 लाख रुपए में मकान बनाकर देने को कहा। एजेंट ने पाली सैंट्रल को ऑपरेटिव बैंक की लक्ष्मी मार्केट शाखा ऋण स्वीकृत करवाया। इसके बाद बैंक ने पहली किस्त 10 जुलाई 2017 को 4.5 लाख, 17 जुलाई 2017 को दूसरी किश्त 2.5 लाख रुपए दिए। 18 जुलाई 2017 को तीसरी किस्त के रूप में छह लाख जमा करवा दिए फिर 4 अगस्त 2017
को चौथी किस्त के 2.45 लाख, 11 अगस्त 2017 को 1.50 लाख व 3 अक्टूबर को 55 हजार रुपए ऋण लेने वाले के खाते में जमा करवाए।
एक माह में जारी कर दी तीन किस्त
पंचम नगर निवासी प्रकाश को एजेंट ने पाली सैंट्रल को ऑपरेटिव बैंक की लक्ष्मी मार्केट शाखा से होम लोन दिलाया। बैंक ने पहली किश्त 3 जुलाई 2017 को 4.50 लाख जमा करवाए। 13 जुलाई 2017 को एक लाख जमा करवा दिए। इसके दो दिन बाद 15 जुलाई 2017 को 6 लाख जमा करवा दिए। अंतिम किस्त के रूप में दो लाख रुपए 13 सित बर 2017 को जमा करवाए। इसके बावजूद मकान अभी तक नहीं बना है। जबकि बैंक की ओर से अब रकम वसूली के तकाजा किया जा रहा है। ऐसे में एजेंट से झांसा खाने के बाद रकम कैसे चुकाय यह सोचकर ऋणी परेशान है।
पंचम नगर निवासी प्रकाश को एजेंट ने पाली सैंट्रल को ऑपरेटिव बैंक की लक्ष्मी मार्केट शाखा से होम लोन दिलाया। बैंक ने पहली किश्त 3 जुलाई 2017 को 4.50 लाख जमा करवाए। 13 जुलाई 2017 को एक लाख जमा करवा दिए। इसके दो दिन बाद 15 जुलाई 2017 को 6 लाख जमा करवा दिए। अंतिम किस्त के रूप में दो लाख रुपए 13 सित बर 2017 को जमा करवाए। इसके बावजूद मकान अभी तक नहीं बना है। जबकि बैंक की ओर से अब रकम वसूली के तकाजा किया जा रहा है। ऐसे में एजेंट से झांसा खाने के बाद रकम कैसे चुकाय यह सोचकर ऋणी परेशान है।