शहर के सबसे व्यस्त चौराहे सूरजपोल पर सुबह बारह बजे तक तो सामान्य दिनों की तरह का यातायात ही रहा। वहां लगे पुलिसकर्मियों ने वाहन चालकों को रोकने का प्रयास किया, लेकिन यातायात का दबाव इतना अधिक था कि वे बेबस हो गए। लोग भी कोई न कोई बहाना कर निकलते रहे। यह स्थिति मस्तान बाबा, मुख्य बाजार, नहर पुलिया, मिल गेट क्षेत्र में भी रही।
बाजार में दुकानदारों ने जिला प्रशासन व पुलिस के पहुंचने पर दुकानों के शटर नीचे कर दिया और खुद बाहर बैठ गए। ग्राहक आते ही थोड़ा सा शटर ऊपर किया और सामान लाकर बाहर दे दिया। सर्राफा बाजार, धानमण्डी में किराणा व्यापारियों के साथ अन्य व्यापारी पूरे दिन ऐसा ही करते रहे। वहीं ठेले पर फल बेचने वाले पूरे दिन सूरजपोल के पास और गलियों में खड़े रहे और उनके पास ग्राहकों की भीड़ लगी रही।
शहर में दो दिन वीकेंड कर्फ्यू और अब जन अनुशासन पखवाड़ के पहले दिन सख्ती करने वाला भी कोई नहीं रहा। सडक़ों पर लोग मनमर्जी से घूमते रहे। पुलिसकर्मी तो रात भी किसी जगह पर नहीं दिख रहे। ऐसे में कफ्र्यू से कोरोना की चेन तोडऩे का जो उद्देश्य रखा गया, वह पूरा कैसे होगा।