घर में कहीं भी चॉक से चौकोर 16 खाने बनाकर कौडिय़ों से खेला जाने वाला यह खेल महिलाओं को भा रहा है। आशापुरा नगर निवासी शांति पटेल का कहना है कि हमारे पारंपरिक खेल मितव्ययिता के उदाहरण है और इससे हम जीवन की गति को आगे बढ़ाने एवं सुरक्षित रहने की कला भी सीखते हैं। कपड़े पर बनी चौपड़ पर भी महिलाएं हाथ आजमा रही है। मोहन नगर निवासी पारस कंवर का कहना है कि सालों पहले बचपन में जिन खेलों को खेला अब वे फिर घरों में दिखाई देने लगे हैं। इससे मनोरंजन के साथ समय का सकारात्मक उपयोग होता है।
शहर के युवा व बुजुर्ग अपना समय गुजारने के लिए पारंपरिक खेल ताश, शतरंज व कैरम खेलने में रुचि दिखा रहे हैं। राम नगर निवासी रामसुख पायक का कहना है कि कैरम के माध्यम से निशाना साधने का हुनर सीखा जा सकता है साथ ही जीवन में एक लक्ष्य होने का गुण विकसित होता है। शिवाजी नगर निवासी विकास कुमार का कहना है कि शतरंज सिर्फ मनोरंजन का साधन ही नहीं बल्कि इसमें दिमागी कसरत भी हो जाती है। लॉकडाउन के कारण घर में समय गुजारने के शतरंज सबसे बेहतर माध्यम है। शतरंज में हमें पारंपरिक युद्ध शैली का ज्ञान भी प्राप्त होता है।