हालात उजागर कर पत्रिका ने चेताया
एसएनसीयू वार्ड की व्यवस्थाओं में कमी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने लगातार समाचार प्रकाशित किए। राजस्थान पत्रिका ने ‘सांझ ढलते ही बन आती है मासूमों की जान पर!’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया कि रात की शिफ्ट में महज एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे एनएससीयू वार्ड में भर्ती सभी बच्चों के देखभाल की जिम्मेदारी रहती है।
एसएनसीयू वार्ड की व्यवस्थाओं में कमी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने लगातार समाचार प्रकाशित किए। राजस्थान पत्रिका ने ‘सांझ ढलते ही बन आती है मासूमों की जान पर!’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। जिसमें बताया कि रात की शिफ्ट में महज एक नर्सिंगकर्मी के भरोसे एनएससीयू वार्ड में भर्ती सभी बच्चों के देखभाल की जिम्मेदारी रहती है।
किसी बच्चे की तबीयत बिगड़ती है तो कॉल पर चिकित्सक आते हैं। इसके बाद कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. अग्रवाल ने वार्ड का निरीक्षण किया तथा रात की शिफ्ट में एक चिकित्सक वार्ड में तैनात नियुक्त करने के निर्देश दिए थे।