क्षेत्र में अतिक्रमण होने के कारण नाले पूरी तरह से खत्म हो गए है। इस कारण इस क्षेत्र की कॉलोनियों में बरसात के समय पानी भरता है। बाढ़ के हालात हो जाते है। वर्ष 2015 से 2017 तक तीन साल तक बाढ़ के हालात बने। इससे पहले भी ऐसे ही हालात रहे। परिषद अतिक्रमण हटाने में नाकाम रही। -अशोक बंजारा, पार्षद
लोर्डिया बांध में रेलवे लाइन के नीचे से होकर पानी आता था। मीटर गेज रेलवे लाइन के समय रेल की पटरियों के ऊपर से पानी आ जाता था। अब यहां एक छोटा पुलिया बना दिया गया है। इससे पानी कम आगे आता है और यहां पटरियों के नीचे से मिट्टी के कटाव का हर बरसात में खतरा रहता है।
इस क्षेत्र से पानी तेज वेग के साथ लोर्डिया बांध की तरफ बढ़ता था। इसमें अब ट्रांसपोर्ट नगर के साथ अन्य कॉलोनियां बस गई है। यहां से निकलने वाला नाला भी पाट दिया गया है। यहां तीन बार पानी का भराव होने पर ट्रांसपोर्ट नगर की दीवार तोडकऱ पानी निकाला गया था।
ट्रांसपोर्ट नगर के पास ही कब्रिस्तान है। इसके पास से एक नाला निकलता था। जो कच्चा था। यह नाला आगे नया गांव होते हुए लोर्डिया तक आता था। अब इस नाले का महज अवशेष ही रह गया है। जो सडक़ व कब्रिस्तान के बीच महज खाई के जैसा ही लगता है। इसमें भी झाडिय़ां उगी है।
कस्तुरबा गांधी विद्यालय के पास व सामने नाले को पाट दिया है। यह कार्य नगर परिषद ने किया है। इसी के किनारे श्मशान भी है। जिसका क्षेत्र बढ़ाने के लिए दीवार बनाकर इसे बंद कर दिया है। हालांकि नाला होने की गवाही वहां पहले बना पुलिए की दीवार आज भी दे रही है।
ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस थाने के पास व सामने भी नाला था। जिसे कचरा डालकर व अन्य लोगों ने पाट दिया है। इसका सबूत यह है कि इस नाले के आगे आज भी तालाब की तरफ पानी भरा है। यहीं नाला आगे कस्तुरबा गांधी आवासीय विद्यालय तक आता था और वहां से लोर्डिया तालाब में।
किसी भी बांध, तालाब व अन्य जलस्रोत में बरसात के समय जिस क्षेत्र से होकर पानी आता है। वह क्षेत्र उसका जल ग्रहण क्षेत्र कहलाता है। लोर्डिया तालाब में पीछे की कांकड़ व खेतों से पानी आता था। यह क्षेत्र 25.80 वर्ग किलोमीटर का था। आज हालात यह है कि इस 25.80 वर्ग किलोमीटर से एक वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र भी जलग्रहण का नहीं रह गया है। इसके अलावा खारड़ा फिडर के नीचे का हिस्सा भी इसका जलग्रहण क्षेत्र था। उससे भी इसी क्षेत्र से होकर पानी लोर्डिया तक आता था। जो अब बरसात में बस्तियों को जलमग्न करता है।
43.59 एमसीएफटी पानी की क्षमता
25.80 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है जलग्रहण क्षेत्र
135 हैक्टेयर में सिंचाई की जाती थी इस बांध से