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पाली

बढ़ते अतिक्रमण से बिगड़े यहां के हालात, बरसात में दस से अधिक कॉलोनियों पर मंडराता है खतरा

-लोर्डिया बांध के जलग्रहण क्षेत्र में बस गई कई कॉलोनियां-बांध तक पानी लाने वाले नालों को भी पाट दिया-नया गांव क्षेत्र की दस से अधिक कॉलोनियों पर बरसात में मंडराता है खतरा

पालीJul 17, 2019 / 04:14 pm

Suresh Hemnani

Rain water fills in colonies of pali city rajasthan

बढ़ते अतिक्रमण से बिगड़े यहां के हालात, बरसात में दस से अधिक कॉलोनियों पर मंडराता है खतरा

-राजीव दवे/शेखर राठौड़/दिनेश गिरादड़ा

पाली। बांधों व तालाबों के जलग्रहण क्षेत्रों में अतिक्रमण के कारण भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। प्रकृति से ऐसा ही खिलवाड़ करने के कारण पाली शहर के नया गांव क्षेत्र में बसी दस से अधिक कॉलोनियां कई बार बाढ़ से घिर चुकी है। इसके बावजूद लोर्डिया बांध के जल बहाव के क्षेत्र में लगातार अतिक्रमण बढ़ रहे है। ये अतिक्रमण लोगों के साथ नगर परिषद भी कर रही है। परिषद व प्रशासन ने लोर्डिया बांध के पीछे के 25.80 वर्ग किलोमीटर के जलग्रहण क्षेत्र में अतिक्रमण को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। नतीजतन वहां से लोर्डिया तक आने वाले बरसाती नालों को भी पाट दिया गया। अब उन नालों के अवशेष ही रह गए है। इसी का परिणाम है कि वर्ष 2006-07, 2015, 2016, 2017 में तेज बरसात होने पर लोर्डिया बांध के पीछे की दस से अधिक कॉलोनियां जलमग्न हो गई थी। अब यदि फिर बरसात होती है इन कॉलोनियों में बाढ़ के हालात होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता।
अतिक्रमण से नाले मिट गए
क्षेत्र में अतिक्रमण होने के कारण नाले पूरी तरह से खत्म हो गए है। इस कारण इस क्षेत्र की कॉलोनियों में बरसात के समय पानी भरता है। बाढ़ के हालात हो जाते है। वर्ष 2015 से 2017 तक तीन साल तक बाढ़ के हालात बने। इससे पहले भी ऐसे ही हालात रहे। परिषद अतिक्रमण हटाने में नाकाम रही। -अशोक बंजारा, पार्षद
रेलवे लाइन के नीचे से आता था पानी
लोर्डिया बांध में रेलवे लाइन के नीचे से होकर पानी आता था। मीटर गेज रेलवे लाइन के समय रेल की पटरियों के ऊपर से पानी आ जाता था। अब यहां एक छोटा पुलिया बना दिया गया है। इससे पानी कम आगे आता है और यहां पटरियों के नीचे से मिट्टी के कटाव का हर बरसात में खतरा रहता है।
रेलवे लाइन व ट्रांसपोर्ट नगर के बीच
इस क्षेत्र से पानी तेज वेग के साथ लोर्डिया बांध की तरफ बढ़ता था। इसमें अब ट्रांसपोर्ट नगर के साथ अन्य कॉलोनियां बस गई है। यहां से निकलने वाला नाला भी पाट दिया गया है। यहां तीन बार पानी का भराव होने पर ट्रांसपोर्ट नगर की दीवार तोडकऱ पानी निकाला गया था।
कब्रिस्तान के पास
ट्रांसपोर्ट नगर के पास ही कब्रिस्तान है। इसके पास से एक नाला निकलता था। जो कच्चा था। यह नाला आगे नया गांव होते हुए लोर्डिया तक आता था। अब इस नाले का महज अवशेष ही रह गया है। जो सडक़ व कब्रिस्तान के बीच महज खाई के जैसा ही लगता है। इसमें भी झाडिय़ां उगी है।
कस्तुरबा गांधी विद्यालय के पास
कस्तुरबा गांधी विद्यालय के पास व सामने नाले को पाट दिया है। यह कार्य नगर परिषद ने किया है। इसी के किनारे श्मशान भी है। जिसका क्षेत्र बढ़ाने के लिए दीवार बनाकर इसे बंद कर दिया है। हालांकि नाला होने की गवाही वहां पहले बना पुलिए की दीवार आज भी दे रही है।
ट्रांसपोर्ट नगर में भी अतिक्रमण
ट्रांसपोर्ट नगर पुलिस थाने के पास व सामने भी नाला था। जिसे कचरा डालकर व अन्य लोगों ने पाट दिया है। इसका सबूत यह है कि इस नाले के आगे आज भी तालाब की तरफ पानी भरा है। यहीं नाला आगे कस्तुरबा गांधी आवासीय विद्यालय तक आता था और वहां से लोर्डिया तालाब में।
यह होता है जलग्रहण क्षेत्र
किसी भी बांध, तालाब व अन्य जलस्रोत में बरसात के समय जिस क्षेत्र से होकर पानी आता है। वह क्षेत्र उसका जल ग्रहण क्षेत्र कहलाता है। लोर्डिया तालाब में पीछे की कांकड़ व खेतों से पानी आता था। यह क्षेत्र 25.80 वर्ग किलोमीटर का था। आज हालात यह है कि इस 25.80 वर्ग किलोमीटर से एक वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र भी जलग्रहण का नहीं रह गया है। इसके अलावा खारड़ा फिडर के नीचे का हिस्सा भी इसका जलग्रहण क्षेत्र था। उससे भी इसी क्षेत्र से होकर पानी लोर्डिया तक आता था। जो अब बरसात में बस्तियों को जलमग्न करता है।
एक नजर लोर्डिया बांध पर
43.59 एमसीएफटी पानी की क्षमता
25.80 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है जलग्रहण क्षेत्र
135 हैक्टेयर में सिंचाई की जाती थी इस बांध से

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