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Rare Disease Day : रोगी कम, बीमारी जानलेवा, उपचार के लिए नहीं दवा

रेयर डिजीज डे विशेष: जागरूकता का अभाव बढ़ा रहा परेशानीपत्रिका गेस्ट राइटर : वैभव भंडारी

पालीFeb 28, 2021 / 10:47 am

Suresh Hemnani

Rare Disease Day : रोगी कम, बीमारी जानलेवा, उपचार के लिए नहीं दवा

Rare Disease Day : रोगी कम, बीमारी जानलेवा, उपचार के लिए नहीं दवा

पाली। रेयर डिजीज यानी दुर्लभ रोग, जिनके बारे में आमजन को तो क्या, चिकित्सकों को भी कम ही जानकारी है। इन रोगों के समुचित एवं समयबद्ध इलाज करने के लिए जहां आवश्यक प्रशिक्षण एवं जागरूकता का अभाव है, तो दवाइयों की उपलब्धता भी कम है। इसका कारण यह है कि ये रोग बहुत कम लोगों को होते है। ऐसे में दवा कम्पनियां कम बिक्री के कारण दवाएं नहीं बनाती है। जो दवाइयां बनाई जाती है। उनका मूल्य काफी अधिक होता है।
450 दुर्लभ रोगों पर बनी नीति
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 450 दुर्लभ रोगों के उपचार को लेकर राष्ट्रीय नीति जारी की है। पहली बार वर्ष 2017 में नीति तैयार की गई थी। इसकी समीक्षा के लिए वर्ष 2018 में एक समिति बनाई गई। आयुष्मान भारत योजना के तहत दुर्लभ रोगों के इलाज के लिए 15 लाख तक देने का प्रस्ताव है। इसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय अम्ब्रेला योजना, राष्ट्रीय आरोग्य निधि के तहत वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
पांच प्रतिशत से कम बीमारियों की थैरेपी
महज पांच प्रतिशत से भी कम बीमारियों के उपचार के लिए थैरेपी है। दुर्लभ बीमारियों की तीन श्रेणियां है। इनमें एक बार उपचार के लिए उत्तरदायी रोग, ऐसे रोग जिनमें लम्बे समय तक उपचार की जरूरत होती है, लेकिन लागत कम है। दूसरे ऐसे रोग जो दीर्घकाल तक उपचार वाले है, उनकी लागत भी उच्च है। इसके अलावा बच्चों में होने वाले दुर्लभ रोग भी है। गर्भावस्था के 20 सप्ताह से पहले प्री-नेटल जांच होनी चाहिए। जिससे अन्य बच्चों में दुर्लभ रोग की सम्भावना हो तो रोका जा सके।
80 प्रतिशत तक आनुवांशिक बीमारी
पाली। रेयर डिजीज 80 प्रतिशत तक आनुवांशिक बीमारी है। एंजाइम की कमी और जीन की समस्या के कारण होती है। इनकी पहचान करना मुश्किल होता है। देश में करीब दो हजार बच्चे इन दुर्लभ बीमारियों से पीडि़त है। यह बीमारियां त्वचा, मस्तिष्क, कंकाल, हृदय, तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं। –डॉ. एमएच चौधरी, प्रोफेसर, मेडिकल कॉलेज, पाली
एफस्टिन एनोमेली : यह बचपन में होती है। इसमें हृदय की झिल्ली में छेद होता है, उम्र बढऩे पर वॉल्व सिकुड़ जाता है। इसके पाली में तीन मरीज है।
डूयेकेनी मस्कुलर डिस्ट्रॉफी : बच्चा खड़ा नहीं हो सकता और चल नहीं सकता है। ग्रसित व्यक्ति 25 साल से अधिक नहीं जी सकता।
हचीनसन गिल्फोर्ड प्रोगेरिया : बच्चा जल्दी वृद्ध हो जाता है। उसके बाल झड़ जाते है। चाल भी वृद्धों जैसी हो जाती है।
अहरलर डेनोल्स सिंड्रोम : अंगुंलिया व हाथ आदि पीछे की तरफ पूरी तरह मुड़ जाते हैं। त्वचा खींचने पर रबर की तरह हो जाती है।
हेमीपिलिजिया इन चिल्ड्रन : बच्चों में होने वाला लकवा। बच्चों की मौत तक हो जाती है।
लाइसोसामल स्टोरेज डिस्टॉर्डर: यह आनुवांशिक मेरोपोलिक बीमारी है। जिसमें एंजाइम की कमी होती है।

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