पाली में जैसे-जैसे रंगाई-छपाई उद्योग आबाद हुआ, प्रदूषण की समस्या गहराती गई। पिछले दो दशक में प्रदूषण की मार से कपड़ा उद्योग की हालत पतली हो गई। कई बार फैक्ट्री बंद करनी पड़ती है। इससे परेशान होकर कई उद्यमियों ने रेडीमेड गारमेंट की तरफ रुख किया।
शहर की करीब एक दर्जन इकाइयों में सलवार सूट बनता है। इसमें करीब पांच हजार श्रमिक काम करते हैं। प्रिंटिंग, फिनिसिंग और सिलाई का काम यूपी, बिहार और राजस्थान के श्रमिक करते हैं। इसमें स्थानीय श्रमिकों की संख्या भी काफी है। धागा कटिंग और पैकिंग में 30 फीसदी स्थानीय श्रमिक है। पूर्व में रंगाई-छपाई का काम करने वाले श्रमिकों को भी इसमें ट्रेंड किया जा रहा है।
कोरोना महामारी के कारण अन्य राज्यों में व्यवसाय और नौकरी करने वाले पाली, जालोर व सिरोही में करीब साढ़े चार लाख प्रवासी राजस्थानी घर लौटे हैं। यहां के ज्यादातर प्रवासी रेडीमेड, इलेक्ट्रॉनिक्स, फूड जैसे कारोबार से जुड़े हुए हैं। पाली में रेडीमेड गारमेंट के व्यवसाय की संभावनाएं अत्यधिक है। ऐसे में प्रवासियों को व्यवसाय और श्रम के लिहाज से यहां बड़ी संख्या में अवसर मिल सकता है। इसके लिए सरकार और जिला प्रशासन को पहल करने की जरूरत है।
पाली में रेडीमेड गारमेंट का सुनहरा भविष्य है। स्थानीय श्रमिकों को बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया कराया जा सकता है। फिलहाल, करीब एक दर्जन इकाइयों में काम चल रहा है। –पियूष गोगड़, कमलेश गुगलिया रेडीमेड गारमेंट व्यवसायी
पिछले कुछ समय से यहां रेडीमेड गारमेंट की कई इकाइयां शुरू हुई है। यहां इसका भविष्य अच्छा माना जा रहा है। प्रवासियों को भी रेडीमेड गारमेंट का व्यवसाय और काम करने के लिए प्रेरित करेंगे। –अब्दुल रज्जाक, महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र, पाली