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संरक्षण को ताकता सोजत का ऐतिहासिक दुर्ग, पुरातत्व विभाग नहीं ले रहा सुध

सोजत (निप्र) ञ्च पत्रिका. पुरातत्त्व विभाग की उपेक्षा का शिकार जोधपुर सम्भाग का प्राचीनतम सोजत दुर्ग जर्जर अवस्था में पहुंच रहा है। कुछ वर्ष पहले तत्कालीन जिला कलक्टर ने यहां मरम्मत कार्य करवाए थे, लेकिन इसके बाद कोई कार्य नहीं होने व सारसंभाल के अभाव में यहां झाडि़या उग आई है। दुर्ग में प्रवेश द्वार खंडहर हो रहा है। यहां मधुमक्खियों के छत्तों ने डेरा डाल रखा है। प्रवेशद्वार के एकदम सामने कोठार है जहां पर चमगादड़ों का निवास बन गया है। किले के अंदर शीर्ष भाग पर गंदगी का ढेर लगा है। गौरवशाली इतिहास का प्रतीक – सोजत का ऐतिहासिक दुर्ग पंवार राजा त्रवणसेन, अधिष्ठात्रीदेवी सेजल, बांदर हूल, हरिसिंह हूल, राव मालदेव, राव चंद्रसेन, वीरदुर्गादास राठौड़, महाराजा विजयसिंह, महाराजा गजसिंह आदि की कर्म स्थली रहा है। वीर दुर्गादास राठौड़ की माता नेतकंवर का दाहसंस्कार इसी दुर्ग में हुआ है। राव कल्ला, राव राम आदि की वीर गाथाएं इस दुर्ग से जुड़ी हुई है।

पालीJan 20, 2019 / 12:42 am

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संरक्षण को ताकता सोजत का ऐतिहासिक दुर्ग, पुरातत्व विभाग नहीं ले रहा सुध

संरक्षण को ताकता सोजत का ऐतिहासिक दुर्ग, पुरातत्व विभाग नहीं ले रहा सुध


पानी की टंकी से रिस रहा है पानी
पुरातत्व विभाग की सम्पदा होने के बावजूद बिना किसी सक्षम अधिकारी की स्वीकृति के दुर्ग के अंदर जलदाय विभाग ने पेयजल टांका बना दिया है। इस टांके से पानी बार बार रिसता है। कई बार जलदाय विभाग की लापरवाही से यह टांका ओवरफ्लो हो जाता है एवं लाखों लीटर पानी दुर्ग से होकर सडक़ तक फैल जाता है।
पाश्र्व भाग की अनदेखी
दुर्ग के पाश्र्व भाग में पूर्व में कृत्रिम फव्वारा झरना बनाया गया था, लेकिन देखभाल की कमी के चलते यह झरना अब क्षतिग्रस्त होता जा रहा है। इसी भाग से दुर्ग की प्राचीर को चीरकर जलदाय विभाग ने बड़े बड़े पाइप दुर्ग के अंदर फिट किए हैं। इससे इसकी बुनियाद कमजोर हो गई। कुछ वर्ष पूर्व दुर्ग की एक बहुत बड़ी चट्टान नीचे गिर गई थी। यह दुर्ग संरक्षण के अभाव में अस्तित्व खोता जा रहा है। क्षेत्र के संगठनों ने जोधपुर संभाग के इस अतिप्राचीन दुर्ग की कायाकल्प के लिए पुरातत्त्व विभाग से इसके सौन्दर्यकरण की मांग की है।

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