बांगड़ स्कूल में महिला पुलिसकर्मी के महिला अभ्यर्थियों की जांच करने के दौरान एक महिला के फूल स्लीव के कपड़ों की बांहे काटने पर वह रो पड़ी। वह रोते हुए बोली…इस तरह कोई जांच करता है क्या और कपड़े काटता है क्या। केन्द्रों के बाहर कई महिलाओं व पुरुषों के नाक-कान में पहने आभूषण नहीं उतरे तो उनको कैची से काटा गया। उन आभूषणों को अभ्यर्थियों ने वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को सौंपा और परीक्षा समाप्ति के बाद वापस लिए।
कई अभ्यर्थियों के परिजन भी उनके साथ आए। कलक्ट्रेट परिसर में नाना-नानी अपने दूधमुंहे दोहिते को पाले में झूला देकर बेटे के परीक्षा देकर बाहर आने का इंतजार करते रहे। बांगड़ कॉलेज में एक पिता अपने छोटे बच्चे को गर्मी से राहत देने के लिए अखबार से हवा करता रहा। वह कई बार बच्चे के रोने पर उठता और उसे पेड़ों की छांव में घुमाकर दुलारता रहा। ऐसी ही स्थिति बालिया स्कूल, गल्र्स कॉलेज के पास भी देखने को मिली।
अभ्यर्थियों को गंतव्य तक ले जाने के लिए हर केन्द्र के बाहर बसें खड़ी रही। जिससे अभ्यर्थियों को बस स्टैण्ड या रेलवे स्टेशन नहीं जाना पड़े और वहां भीड़ नहीं हो। शहर के बालिया स्कूल, महावीर स्कूल, गल्र्स कॉलेज, बांगड़ स्कूल के पास, सेंटपॉल स्कूल, हाउसिंग बोर्ड, चिमनपुरा आदि क्षेत्रों में परीक्षा समाप्ति के बाद अभ्यर्थी सीधे बसों में बैठे और अपने गांवों व शहरों की तरफ रवाना हुए।