शहर के मस्तान बाबा के निकट अवैध शराब बिकने की सूचना पर पत्रिका की टीम पहुंची और एक चाय की थड़ी पर शराब की बोतल मांगी। वहां एक युवक शराब का पव्वा लेकर आया। बोला ठेके की ही शराब है। प्रिंट रेट से दस रुपए अधिक लूंगा। उसने बताया कि शहर में कई जगह शराब बिक रही है। पत्रिका ने जैसे ही उसका फोटो लिया, वह भागने लगा।
शहर के निकट बालेलाव गांव में पत्रिका टीम पहुंची तो शराब ठेका लिखा हुआ एक दुकान खुली थी। वहां खुलेआम दिन में शराब बिक्री हो रही थी। इसे कैमरे में कैद किया। वहां शराब बेचने वाला युवक बोला कि एक दिन पहले ठेके से ही शराब लेकर स्टॉक कर लिया था, पुलिस यहां नहीं आती।
तखतगढ़ थाना क्षेत्र के चाणोद गांव में शराब ठेका बंद होने के बावजूद ठेके के पास खिडक़ी से शराब की बिक्री हुई। ग्रामीणों ने पुलिस व आबकारी को इसकी शिकायत भी की, लेकिन दिनभर कार्रवाई नहीं हुई। ग्रामीणों का कहना है कि चाणोद गांव में शराब की अवैध ब्रांच भी चलती है, लेकिन सभी इस पर चुप है।
शराब ठेके बंद करने का निर्णय इस वजह से किया गया कि लोग शराब के लिए बाहर नहीं निकले और अनावश्यक भीड़ भाड़ न हो। लेकिन लॉकडाउन से पहले ही शराब तस्करों ने अपने स्तर पर शराब का स्टॉक कर ठेकों के आसपास ही ठिकाने बना दिए। आबकारी निरोधक दल का काम ही शराब तस्करी रोकना है, लेकिन उसने गश्त तक नहीं की। आबकारी की यह लापरवाही भारी पड़ सकती है।
जानकारी के अनुसार पाली जिले में 250 से अधिक शराब ठेके चिह्नित है, लेकिन अवैध ब्रांचें 500 से अधिक है। ये ब्रांचें शराब ठेकेदारों ने ही अपने लोगों के मार्फत खुलवा रखी है, ताकि शराब की बिक्री अधिक है। आबकारी रेवेन्यू का मामला समझकर इस पर कार्रवाई नहीं करता। जबकि कानूनन यह गलत है।
आबकारी व पुलिस आगे होकर अवैध ब्रांच पर कार्रवाई करने से कतराती है। इस वजह मिलीभगत भी संभव है। गत दिनों देसूरी थाना क्षेत्र के रामपुरा की ढाणी में ग्रामीणों ने पुलिस को मौके पर बुलवाकर शराब की अवैध ब्रांच पकड़वाई। इसी प्रकार जैतारण के रामावास कलां में भी जनता ने वीडियो वायरल कर कार्रवाई के लिए मजबूर किया। जनता आगे होकर विरोध करती है तो कार्रवाई होती है।
आबकारी महकमा अवैध शराब की बिक्री पर सतर्क है। ठेके पूर्णतया बंद है। कुछ स्टॉक पहले से किसी ने कर रखा है और वह बेच सकता है। ऐसे लोगों के खिलाफ निरोधक दल के साथ कार्रवाई करेंगे। – बीआर जाखड़, आबकारी निरीक्षक, आबकारी विभाग, पाली।