पाली पुलिस ने वर्ष 2018 से अब तक 230 से अधिक एनडीपीएस की कार्रवाई की है। जांच में सामने आया कि ये खेप एमपी व चित्तौडगढ़़ से लाई जाती है। जोधपुर के क्षेत्रों में यह खेप सप्लाई होती थी। छोटे वाहनों में भी तस्करी की जा रही है। तस्करी का यह नेटवर्क तोडऩा पुलिस के लिए चुनौती है। हर साल 50 से अधिक मामले पुलिस पकड़ती है, लेकिन तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही।
डोडा पोस्त व अफीम मांग को देखते हुए इनके दाम भी बढ़ गए है। तस्करों के तार मध्यप्रदेश से जुड़े हैं। एमपी, चित्तौडगढ़़ के रास्ते यह यह अफीम व डोडा पोस्त की खेप मारवाड़ क्षेत्र में पहुंचाई जाती है। अब तक पाली, जोधपुर व आसपास के जिलों में पकड़े गए तस्करों ने भी कबूला है कि एमपी के रास्ते से मारवाड़ होकर आसपास के जिलों में खेप पहुंचाई जा रही है। इस रूट पर सख्ती बरती जाए तो काफी हद तक तस्करी पर अंकुश संभव है।
अफीम व डोडा पोस्त तस्कर अपनी खेप पाली होकर जालोर, जैसलमेर, सिरोही, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर पहुंचाते हैं। तस्करी का रूट वाया पाली जिला होकर निकलता है। इस कारण यहां की पुलिस को इस माह ज्यादा चौकन्ना रहना होगा। फिलहाल डोडा तस्करों का पसंदीदा रूट सेंदड़ा, रायपुर मारवाड़, देसूरी, नाणा, नाडोल, सिरियारी, बगड़ी नगर, मारवाड़ जंक्शन, शिवपुरा, जाडन व सोजत रोड मार्ग है। इन्हीं रास्तों से तस्कर आगे निकलते है। तस्करी के लिहाज से ये रूट पुलिस के लिए हमेशा सिरदर्द बने रहते है।
पाली तस्करी का रूट है, यह सहीं बात है। इन रूट पर लगातार अभियान चलाकर कार्रवाई कर रहे हैं। इस रूट पर सख्ती बरतेंगे तो हद तक तस्करी पर काबू पाया जा सकता है। बड़े तस्करों को चिह्नित कर कार्रवाई करेंगे। पाली पुलिस लगातार डोडा व अफीम के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। – राजन दुष्यंत, पुलिस अधीक्षक, पाली।
वर्ष: कार्रवाई
2018 : 53
2019 : 60
2020 : 69
2021 : 50
(आंकड़े अक्टूबर 2021 तक के ) ऐसे रुक सकती है तस्करी
– पुलिस का मुखबिर तंत्र हो मजबूत
– तस्करी के सभी रूट पर निगरानी और कड़ी करने की जरूरत
– नामी तस्करों पर नजर जरूरी
– तस्करी रोकने के लिए स्पेशल टीम का गठन
– जहां से माल की सप्लाई, वह नेटवर्क तोडऩा जरूरी
– अधिकाधिक तस्करों को कोर्ट से सजा दिलाई जाए
– तस्करी रोकने में आमजन का सहयोग लिया जाए