इस कॉन्फ्रेंस में श्वास रोग से जुड़े हर रोग पर शोध पत्र पेश करने के साथ व्याख्यान के सत्र होंगे। इनमें प्रमुख रूप से दमा, फेफड़ों का कैंसर, एलर्जी, निमोनिया, टीबी, सिलकोसिस, फेफड़े में पानी भरना आदि बीमारियां मुख्य है। जिन के उपचार की नई तकनीक और रिसर्च की जानकारी दी जाएगी।
इस कॉन्फ्रेंस में लखनऊ मेडिकल कॉलेज के विभागध्यक्ष व नेशनल कॉलेज ऑफ चेस्ट फिजिशियन के अध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी, अहमदाबाद मेडिकल कॉलेज श्वास रोग विभागाध्यक्ष डॉ. आरएम सोलंकी व डॉ. विनोद गर्ग प्रांतीय शय रोग अधिकारी भी भाग लेंगे। इसके साथ ही 400 विशेषज्ञ अपने अनुभवों को साझा करेंगे। इंडियन चेस्ट सोसायटी के कोषाध्यक्ष वाराणसी के जेके सामरिया भी इसमें भाग लेंगे। ये चिकित्सक यूरोप के साथ अन्य देशों में भी बीमारियों पर किए शोध पर व्याख्यान दे चुके हैं। पाली मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल अग्रवाल भी यूरोप के वियना में श्वास रोग की कार्यशाला में भाग ले चुके है।
पाली का नाम प्रदूषित शहरों की श्रेणी में आता है। यहां के बांगड़ अस्पताल की ओपीडी रोजाना 100-125 तक मरीज श्वास रोग के आते हैं। इनमें से 25-30 रोगी तो टीबी से पीडि़त होते है। इसके अलावा अस्थमा, सीओपीडी के साथ अन्य श्वास रोगों के मरीज आते है। जिनका उपचार इस कॉन्फ्रेंस के बाद नई तकनीक से किया जा सकेगा।