अच्छे मैदान से आएगा हॉकी का स्वर्णिम काल
निमाज। हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद व कैप्टन रूपसिंह का युग भारतीय हॉकी का स्वर्णिम काल था। ऐसा ही समय एक बार फिर देखने की चाह रखते हैं हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के पुत्र व पद्मश्री अशोक कुमार। वे निमाज में होने वाली जयनारायण व्यास स्मृति ओपन हॉकी प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में आए थे। उन्होंने कहा कि भारत ने 1975 के हॉकी विश्वकप में जीत हासिल कर दुनिया में एक बार फिर अपना दबदबा कायम किया था।
उनका कहना था कि भारत में यूरोपियन शैली के एस्ट्रो टर्फ तैयार हो जाए तो मेजर ध्यानचंद वाला हॉकी का स्वर्णिम काल लौट सकता है। उन्होंने बताया कि भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी में शारीरिक व दिमागी ताकत का बेहतरीन उपयोग होता है। इसमे तेज मूवमेंट होता है। हॉकी के मैदान भी इस खेल के पिछड़पन का कारा है। यूरोपियन शैली के मैदानल यहां नहीं है। इस कारण स्कूल व क्लब के खिलाड़ी ढंग से अभ्यास नहीं कर पाते हैं। उनका कहना था हॉकी के लिए दूसरे खेलों की अपेक्षा पैसे व प्रायोजकों की कमी है। हालांकि पिछले दो वर्षों से हॉकी की स्थिति बेहतर हुई है। गांवो में भी हॉकी के प्रति लोगों का जुनून देख अशोक कुमार ने खुशी जताई।