ज्ञापन में बताया गया है कि कोरोना काल के दौरान पूरे सात माह तक निजी शिक्षकों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। कई संस्थानों ने तो गत सत्र का वेतन भी नहीं दिया है। संचालकों ने ऑनलाइन के नाम पर भी दस प्रतिशत शिक्षकों को ही बुलाया है, बाकी 90 प्रतिशत शिक्षक वंचित ही है।
शिक्षकों ने बताया कि निजी शिक्षण संस्थान मालिक शिक्षकों के साथ सामान्य मानवीय व्यवहार तक नहीं करते। ये प्रतिवर्ष नव नियुक्ति देकर छुट्टियों का वेतन भी हड़प कर रहे हैं। शिक्षकों को पीपीएफ व ईएसआई की सुविधा से वंचित रखा जा रहा है।
कलक्टर अंशदीप ने हाथों-हाथ ज्ञापन की मांगों की जांच करवाने एवं जिला शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट लेने का भरोसा दिलाया। ज्ञापन देने वालों में संघ के अध्यक्ष प्रमोद श्रीमाली, हर्षवर्धन जोशी, धर्मेन्द्र कुमार, लोकेन्द्र सिंह कुम्पावत, आजाद सैन समेत कई शिक्षक शामिल रहे।