दिवाली में जगमाएंगे सद्भाव के दीप, साकार होगी गंगा-जमुनी तहजीब
पाली/जैतारण . बेला गुलाब जूही चंपा चमेली, फूल है अनेक लेकिन माला में एक है। हिंद देश के निवासी सभी जन एक है, रंग, रूप, वेश भाषा चाहे अनेक है। अनेकता में एकता की इन पंक्तियों को साकार करने वाले पर्व दिवाली की दस्तक के साथ गली-कूंचों में सद्भाव के अनूठे रंग बिखरने शुरू हो गए हैं।
दिवाली में जगमाएंगे सद्भाव के दीप, साकार होगी गंगा-जमुनी तहजीब
पाली/जैतारण . बेला गुलाब जूही चंपा चमेली, फूल है अनेक लेकिन माला में एक है। हिंद देश के निवासी सभी जन एक है, रंग, रूप, वेश भाषा चाहे अनेक है। अनेकता में एकता की इन पंक्तियों को साकार करने वाले पर्व दिवाली की दस्तक के साथ गली-कूंचों में सद्भाव के अनूठे रंग बिखरने शुरू हो गए हैं। हो भी क्यों नहीं, युगों से यह गंगा-जमुनी तहजीब ही हमारी संस्कृति है। संस्कृति को जीवंत बनाने में कई कारीगर दिवाली पर उम्मीदों को परवान चढऩे की उम्मीद लिए तैयारियों में जुटे हैं।
जैतारण क्षेत्र के देवरिया निवासी नजीर मिट्टी के दीये बनाने में जुटे हैं। वे बताते हैं दीपावली के त्योहार पर उनके अच्छी आमदनी होती है। दिवाली की तैयारी महीनेभर पहले शुरू करनी पड़ती है। 61 वर्षीय नजीर चाक पर वर्षों से मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं। दीपक बनाना उनका परम्परागत कार्य है। वर्षों से दीपक बनाकर वह आस-पास के गांवों में बेचने को जाता है और उसके दीपक त्योहार के चलते हाथों-हाथ बिक जाते हैं। धन तेरस से कई घरों में परंपरा से दीये वितरित कर रहे हैं। बदले में उन्हें अच्छा त्योहारी नेक मिलता है। नजीर का कहना है कि गांव में एक दूसरे के सहारे से जीवन की गाड़ी चलती है। इसी तरह पाली में पुजापा सामग्री बनाने वाले शाबिर अली का कहना है कि महीनेभर पहले से उन्होंने लक्ष्मी पुजापा पैक करने का काम शुरू कर दिया है। दिवाली पर इससे उनकी अच्छी आमदनी हो जाती है।
घर-घर बांटते रूई
पिंजारा जाति के कई मुस्लिम परिवार रूई पींजने का कार्य करते हैं। इनके परिवार के सदस्य दीपावली पर लॉरी में रूई लेकर घर-घर जाते हैं और आवश्यकतानुसार रूई वितरित करते हैं। इसके बदले में उन्हें अच्छा नेक मिलता है। पिंजारा जाति के महिला-पुरुष रूई पींजते हैं और पैकैट बांधकर घर-घर में बांटते हैं। मोईन खां का कहना है कि पीढिय़ों से वे रूई व्यवसाय करते हैं और प्रत्येक दिवाली पर परिवार के सदस्य विभिन्न मोहल्लों में रूई वितरित करते हैं।
तैयार हो रहा पुजापा
दिवाली पर लक्ष्मी के स्वागत को घर सज रहे हैं। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा को लेकर भी गली-मोहल्लों में तैयारियां शुरू हो गई है। लोग लक्ष्मी पूजन के लिए पैकेट तैयार करने में जुटे हैं। यह पुजापा 10 रुपए से लेकर 251 रुपए तक का होता है। पुजापे में चावल, धाणा, मेहंदी, कंकु, मोली, अबीर, गुलाल, इत्र, शहद, गंगाजल, सुपारी, कमल गट्टा, केसर, रूई, जनेऊ जोड़ा, मंूग, पीली सरसों, मजीठ, गुड़, शतावर, अगरबत्ती, लाल कपड़ा, लोंग, इलायची, मिश्री, पंच मेवा लक्ष्मी पाना, आरती पाना डाला जाता है। जानकारी के अनुसार राशि के अनुसार पैकेट तैयार मिलते हैं।