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सांस भी नहीं ले पा रहा था नवजात, 42 दिन की मेहनत से चिकित्सकों ने फिर लौटाई मुस्कान, जानें पूरा मामला…

जन्म के समय एक किलो से भी कम था वजन
सांस लेने में थी दिक्कत, दूध भी नहीं पी पा रहा था

पालीJun 02, 2019 / 07:26 pm

Rajkamal Ranjan

The physician tried to smile again a little child

सांस भी नहीं ले पा रहा था नवजात, 42 दिन की मेहनत से चिकित्सकों ने फिर लौटाई मुस्कान, जानें पूरा मामला…

पाली। जन्म के समय एक किलो से कम वजन होने के कारण नवजात को सांस लेने में दिक्कत थी। दूध भी नहीं पी पा रहा था। निराश परिजन उसे बांगड़ अस्पताल लाए, जहां बाल रोग विशेषज्ञों की देखरेख में प्रीमेच्योर बेबी का 42 दिन तक इलाज चला। आखिरकार बच्चा स्वस्थ हुआ और उसे शनिवार को छुट्टी दे दी गई। बच्चे को स्वस्थ देख परिजनों की आंखों से खुशी के आंसू छलक गए। दरअसल, हेमावास गांव में दरियादेवी पत्नी मोहनलाल मेघवाल का घर पर ही प्रसव हुआ। गर्भधारण के सात माह बाद ही जन्म होने से नवजात काफी कमजोर था। इतना ही नहीं, वजन भी महज 950 ग्राम ही था, जबकि स्वस्थ नवजात का वजन 2.50 किलो से अधिक होता है। कमजोरी के चलते वह मां का दूध नहीं पी पा रहा था तथा उसे सांस लेने में भी दिक्कत थी। 18 अप्रेल को परिजन उसे बांगड़ अस्पताल लाए। जहां बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रफीक कुरेशी, डॉ. एस.एन. स्वर्णकार, डॉ. अनिरुद्ध शेखावत की देखरेख में नवजात का एफ बीएनसी वार्ड में उपचार शुरू किया गया।
कंगारू केयर से नवजात को जीवनदान

अस्पताल में भर्ती होने के दौरान दरिया देवी चिकित्सकों की देखरेख में अपने बच्चे को चार-पांच बार कंगारू केयर (बच्चे को स्किन से लगाकर रखना) देती थी। डॉ. रफीक कुरेशी ने बताया कि नवजात शिशु के बेहतर स्वास्थ्य तथा उसे बीमारियों से बचाने के लिए एक खास तरह की तरकीब अपनाई जाती है, जिसे कंगारू मदर केयर (केएमसी) कहा जाता है। इसमें मां नवजात शिशु को कंगारू की तरह अपनी स्किन से लगाकर रखती है। यह विधि इसलिए अपनाई जाती है, ताकि शिशु का सर्वोत्तम विकास हो सके।
आंतों में आ गई थी सूजन

डॉ. स्वर्णकार ने बताया कि नवजात को नेजो गेस्ट्रीक नली से दूध पिलाया शुरू किया। लेकिन, ज्यादा कमजोर होने से उसकी आंतों में सूजन आने लग गई, जिस पर दूध देना बंद करना पड़ा। कुछ दिन बाद फिर से नेजो गेस्ट्रीक नली से दूध पिलाना शुरू किया। इस बीच पीलिया का भी उपचार किया। खून भी चढ़ाया। बाद में बच्चे का वजन धीरे-धीरे बढऩे लगा। 42 दिन बाद नवजात स्वस्थ हो गया। अब नवजात का वजन एक किलो 408 ग्राम है। चिकित्सकों को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं।

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