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‘सरकार’ के हाथ में हिल स्टेशन की बागडोर… नजरें इनायत हो तो निखरे माउंट का स्वरूप

सीएम की अध्यक्षता में बनी हुई है आबू विकास समिति, लेकिन बैठकें ही नहीं होती

पालीJun 10, 2024 / 06:21 pm

rajendra denok

‘सरकार’ के हाथ में हिल स्टेशन की बागडोर... नजरें इनायत हो तो निखरे माउंट का स्वरूप

माउंट आबू का नजारा।

पाली। माउंट आबू प्रदेश का ऐसा इकलौता शहर है जिसकी बागडोर सीधे ’सरकार’ के हाथों में है। यानि मुख्यमंत्री खुद अध्यक्ष होता है और विभिन्न विभागों के 14 अधिकारी सदस्य। सरकार की नजरें इनायत हो तो निखर सकता है इस हिल स्टेशन का स्वरूप, क्योंकि माउंट के स्थानीय लोगों और हर साल घूमने आ रहे लाखों पर्यटकों के सामने कई तरह की परेशानियां है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर के कार्यकाल में आबू विकास समिति का गठन किया गया था। बरसों से इस समिति की न तो नियमित बैठकें हो रही है और न ही माउंट का सतत विकास। सैलानियों को लुभाने वाला आबूराज खुद विकास को तरस रहा है। यहां कई समस्याएं तो स्थायी बनी हुई है, जिसके समाधान की जरूरत है। खमियाजा यहां के बाशिंदे और पर्यटक उठा रहे हैं। प्रदेश का यह एकमात्र हिल स्टेशन है। इस कारण गर्मी और स्कूलों की छुट्टियां शुरू होते ही यहां क्राउड बढ़ जाता है। हर साल करीब 30 से 40 लाख सैलानी आ रहे हैं।

क्या है आबू विकास समिति

आबू के विकास के लिए सरकार ने इस समिति का गठन किया था। पूरे प्रदेश में माउंटआबू ही एकमात्र ऐसा शहर है जिसके विकास के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में समिति बनी हुई है। कई बार इसकी बैठक प्रदेश के राज्यपाल भी ले चुके हैं, लेकिन समिति की बैठक कभी भी समय पर नहीं हुई। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में इसकी बैठक एक बार भी नहीं हुई।

16 साल में दो बैठकें, माउंट को मदद की दरकार

वसुंधरा राजे के पिछले दोनों कार्यकाल 2008 और 2016 में आबू विकास समिति की बैठकें हुई थी। इसके बाद अशोक गहलोत पांच साल सीएम रहे। वर्तमान भजनलाल सरकार को अस्तित्व में आए करीब छह माह हो गए। सीएम की अगुवाई वाली समिति की बैठकें नियमित नहीं होने से योजनाएं धरातल पर नहीं उतर रही है।

मुद्दे…जिन पर ध्यान देने की जरूरत

-माउंट में न घर बना सकते हैं न ही शौचालय। इस पर ठोस निर्णय की आवश्यकता।

-माउंट आबू पर आने का एकमात्र मार्ग है। सीजन में जाम रहता है। बारिश में अवरूद्ध होता है।
-पार्किंग व्यवस्था नहीं। सीजन के दौरान जाम लगा रहता।

-सालगांव बांध परियोजना को धरातल पर लाने की आवश्यकता।

-पर्यटकों के अधिक ठहराव के लिए अच्छे होटलों का अभाव। इनके निर्माण की स्वीकृति।
-आबूरोड से गुरुशिखर तक स्वीकृत भारतमाला परियोजना को मूर्तरूप दिया जाना चाहिए।

-पर्यटकों के लिए शक्तिपीठ आस्थास्थल अधरदेवी, भैरूतारक धाम तक प्रस्तावित रोप-वे बनाए जाने की जरूरत।

-धार्मिक और पौराणिक पर्यटन स्थलों का विकास।
-माउंट में बढ़ते शराब के चलन पर नियंत्रण किया जाना चाहिए।

-माउंट में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की जरूरत।

माउंट के सुव्यवस्थित विकास की जरूरत

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आबू विकास समिति बनीं हुई है। इसमें कई विभागों के सचिव स्तर के अधिकारी शामिल है। समिति की बैठकें नियमित नहीं होती। इससे माउंट का विकास ठप है। यहां बड़े-बड़े अधिकारी आते हैं। इसके बावजूद माउंट के विकास की कोई ठोस योजना नहीं है।
सुनील आचार्य, नेता प्रतिपक्ष, माउंट आबू

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