चाइल्ड हेल्प डेस्क की सेंट्रल डेस्क जो दिल्ली में है, उसके नम्बर 1098 है। इस नम्बर पर कोई कॉल करता है तो शिकायत दर्ज होती है। वहां से शिकायत जयपुर कार्यालय भेजी जाती है। जयपुर से पाली की बाल कल्याण समिति को भेजी जाती है। इस क्रम में तीन से चार दिन तक लग जाते हैं। ऐसे में बाल श्रम, गुमशुदा बच्चों जैसी सूचनाओं का कई बार महत्व ही नहीं होता। गुमशुदा बालक की जहां से सूचनाएं आती है, वहां चार दिन बाद मिलता नहीं, वहीं बाल श्रम की सूचनाएं पर तीन दिन बाद मौके पर समिति जाकर मौका देखती है तो वहां कोई नहीं मिलता। ऐसे में समिति ने मांग की है कि पाली में ही यह डेस्क खोली जाए, जिस पर तुरंत सूचनाएं मिल सके और कार्रवाई हो सके।
पाली में सबसे अधिक बाल श्रम की शिकायतें आती है। होटलों, ढाबों, मकानों में नाबालिगों को मजदूरी करवाई जाती है। कई बार समिति ने कार्रवाई भी की। पुलिस भी इस पर कार्रवाई करती है। इसके अलावा गुमशुदा बच्चों की शिकायतें भी समिति के पास आती है।
पाली में चाइल्ड लाइन हेल्प डेस्क के लिए कई बार जिला कलक्टर सहित अन्य को लिखा, मौखिक रूप से भी कहा, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। सेंट्रल डेस्क की सूचनाएं तीन दिन तक विलम्ब से मिलती है, ऐसे में काम करना मुश्किल हो जाता है। पाली में हेल्प डेस्क जरूरी है। – सीताराम शर्मा, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, पाली।