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अनगढ़ माटी को चाक पर आकार दे रोशन करते हैं ये दिवाली

– तीन-चार साल से चायनीज आइटम के विरोध के चलते मिट्टी के दीपकों के प्रति लोगों में बढ़ा रुझान
– दूर से लाते हैं मिट्टी

पालीOct 10, 2019 / 11:52 am

Rajendra Singh Rathore

अनगढ़ माटी को चाक पर आकार दे रोशन करते हैं ये दिवाली

अनगढ़ माटी को चाक पर आकार दे रोशन करते हैं ये दिवाली

बाबरा। अपने हाथों को चाक पर चलाकर अनगढ़ माटी को दीपक का रूप देने वाले कुंभकार अपनी कला से दीपोत्सव पर्व को रोशन कर देते हैं। साल में एक बार आने वाले इस त्योहारी सीजन को लेकर कुंभकार भी खासे उत्साहित हैं। पिछले तीन-चार वर्षों से चायनीज आइटम के विरोध के चलते बाजार में मिट्टी के दीपकों की मांग अब अधिक होने लगी है। दीपोत्सव को लेकर ग्रामीण क्षेत्र में दीपक बनाने वाले कुंभकारों में काफी उत्साह है। दरअसल, लम्बे समय से चायनीज लाइट्स की ब्रिकी होने से दीपकों की मांग कम हो गई थी, लेकिन पिछले तीन-चार वर्षों से चायनीज उत्पाद के विरोध के बाद तो अब मिट्टी से बने दीपकों की मांग भी बढऩे लगी है। ऐसे में कुंभकार नए-नए डिजायनों में दीपकों का निर्माण करने लगे हैं।
दूर से लाते हैं मिट्टी
कुंभकारों ने बताया कि इसके लिए चिकनी काली मिट्टी दूर तालाबों से लानी पड़ती है। इसके लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ती है। पिछले कुछ वर्षों से मिट्टी के बने दीपको की मांग बढऩे से अच्छी आमदनी होने की उम्मीद बढ़ी है।
मांग बढऩे से सुधरी स्थिति
महंगाई के इस दौर में अब पुश्तैनी धन्धे से जुड़े रहना मुश्किल हो रहा है, लेकिन पिछले तीन-चार साल से मिट्टी के दीपकों की मांग बढऩे से इस बार तो पिछले साल से अधिक दीपक तैयार किए जा रहे हैं। दिवाली पर दीपकों की अधिक ब्रिकी होने से पहले प्रतिदिन चाक चलाकर मिट्टी के दीपक बनाए जा रहे हैं।
जगदीश प्रजापत, कुंभकार बाबरा

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