script‘दीमक’ की तरह चाट रहा था क्षय रोग | Tomato was licking like 'termac' | Patrika News
पाली

‘दीमक’ की तरह चाट रहा था क्षय रोग

– सख्ती कर प्रोत्साहन दिया तो भागने लगा रोग
– विश्व क्षय रोग दिवस विशेष

पालीMar 24, 2019 / 12:33 pm

rajendra denok

Tomato was licking like 'termac'

‘दीमक’ की तरह चाट रहा था क्षय रोग

पाली विश्व क्षय रोग दिवस विशेष विश्व क्षय रोग दिवस विशेष क्षय रोग जिले के कई लोगों को दीमक की तरह चाट रहा था, लेकिन शरीर को भीतर से खाने वाले इस रोग के बारे में चिकित्सा विभाग के पास सही आंकड़े नहीं आ रहे थे। अब क्षय रोगियों को हर माह 500 रुपए प्रोत्साहन देने और निजी चिकित्सालयों व मेडिकल स्टोर पर इसकी दवा लेने वालों का पंजीयन क्षय निवारण केन्द्र पर कराने की सख्ती के बाद उपचार के लिए इस वर्ष पहले की तुलना में निजी अस्पतालों में ही आठ गुना अधिक रोगी सामने आए है। इधर, सरकारी अस्पतालों में भी यह आकड़ा इस वर्ष 686 बढ़ा है। रोगियों को उपचार मिलने के कारण अन्य लोगों के इस रोग की चपेट में आने की आशंका भी कम हुई हैविश्व क्षय रोग दिवस विशे
फेफड़ों में ही नहीं, अन्य भागों में होती है टीबी

क्षय रोग केवल फेफड़ों में होता है। लोग अक्सर खांसी तेज व लम्बे समय तक चलने पर ही इसकी जांच करवाते है। जबकि हकीकत यह है कि क्षय रोग शरीर के अन्य अंगों में भी होता है। फेफड़ों में होने वाले क्षय रोग को चिकित्सक पलमोनरी व अन्य भागों में होने वाले को एक्स्ट्रा पलमोनरी कहते हैं।
यह है टीबी के लक्षण
-लम्बे समय (लगातार दो हफ्ते) खांसी रहना।
-बुखार आना

-पसीना आना विशेष रूप से रात को
-भूख नहीं लगाना

-वजन का घटना
-बलगम के साथ रक्त आना।

विशेष : फेफड़ों में टीबी होने पर खांसी आती है। जबकि अन्य अंगों में होने पर खांसी तो नहीं आती है, लेकिन अन्य लक्षण सामने आते
टीबी होने पर यह करना चाहिए
-खांसते समय मुंह पर कपड़ा रखना चाहिए।

-टीबी की दवा नियमित लेनी चाहिए। दवा को बीच में नहीं छोडऩा चाहिए।
-टीबी के मरीज को पौष्टिक भोजन (दालों व पत्तेदार सब्जियों आदि) का सेवन अधिक करना चाहिए।
-रोग की पुष्टि होने पर तुरन्त दवा शुरू करनी चा

80 प्रतिशत होती फेफड़ों में : डॉ. ललित शर्मा

टीबी का रोग अधिकांश फेफड़ों में होता है। फेफड़ों के 80 प्रतिशत रोगी आते है। जबकि अन्य अंगों जैसे गला, हड्डी, पेट, बच्चे दानी, दिमाग और मुंह के साथ जननांगों में यह रोग अधिक होता है। इसका प्रतिशत महज 20 प्रतिशत ही रहता है। टीबी रोग ज्यादातर श्वास से फैलता है। इस कारण एक टीबी रोगी के ठीक होने पर अन्य कई लोगों को यह रोग होने की आशंका दूर हो जाती है।
हर किसी को देनी होती है सूचना : डॉ. राजेन्द्र बेड़ा, जिला क्षय रोग अधिकारी

टीबी का उपचार करने वाले हर चिकित्सक व अस्पताल प्रशासन को टीबी रोगी के बारे में सूचना जिला क्षय रोग अधिकारी को देनी जरूरी है। इसके अलावा मेडिकल स्टोर से दवा देने या लेब में जांच करने वाले को भी यह सूचना देनी है। पाली में टीबी की जांच सीबीनॉट मशीन से की जाती है। इस वर्ष इस मशीन से 2955 रोगियों की जांच की गई है। इस मशीन से जांच करने पर टीबी के साधरण दवाओं से ठीक होने व नहीं होने का पता लग जाता है।
वर्षवार इतने रोगी आए सामने
वर्ष सरकारी अस्पताल निजी चिकित्सालय व अन्य जगह

2018 2642 968
2017 1703 43

2016 1956 123

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