मंदिर पाटोत्सव में सुबह माता के दरबार में हवन किया गया। श्रद्धालुओं ने वेद मंत्रों की ध्वनि के बीच घी व शाकल्य की आहुतियां देकर श्रीयादे माता से सुख-समृदि्ध की प्रार्थना की। माता का मनमोहक श्रृंगार कर मंदिर पर ध्वजारोहण किया गया। इसके बाद 14 जोड़ो के विवाहोत्सव का कार्यक्रम शुरू हुआ। बारातियों व घरातियों का स्वगात किया गया। तोरण की रस्म अदा करने के बाद वर-वधु ने फेरे लिए। फेरों की रस्म पूरी होते ही वर-वधु के परिजनों ने उनको गोद में उठा लिया।
समरसता को मिलता बढ़ावा
विवाह समारोह में मंदिर अध्यक्ष बस्तीमलब्रांधना व विवाह समिति अध्यक्ष ओमप्रकाश ब्रांधना ने कहा कि सामूहिक विवाह जैसे आयोजनों से समाज में समरसता व भाईचारा बढ़ता है। कोषाध्यक्ष (पोतेदार) भैरूलाल हिकोडिया ने कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में फिजूल खर्ची पर अंकुश लगता है।
विदाई में नम हुई आंखें
विवाह की रस्मों के बाद में विदाई की वेला आने पर वधु पक्ष के परिजनों की आंखें नम हो गई। बेटियों को विदा करते समय समाजबंधुओं ने उनको सुखी जीवन का आशीर्वाद दिया। वर-वधु पक्ष के कई लोगों ने नव विवाहितों को उपहार भी प्रदान किए।
साफा बांधकर किया स्वागत
समारोह में नवपट्टी व सभी श्रीयादे मंदिर अध्यक्ष व पोतेदार (कोषाध्यक्ष) का माला पहनाकर, साफा बांधकर व मोमेंटो प्रदान कर बहुमान किया। महाप्रसादी का आयोजन किया। मीडिया प्रभारी अशोक राठोलियामामावास ने बताया कि विवाह समिति उपाध्यक्ष बुद्धाराम कवाड़िया, सचिव गोरधन बेरा, सह कोषाध्यक्ष भंवरलाल राठोलिया, सह सचिव हुकमीचंद कवाडिया, मंदिर संरक्षक खीमाराम चंदवाड़िया, शंकरलाल मुलेरा, उपाध्यक्ष बगदाराम भड़कोलिया, विजयराज मुलेरा, सचिव जगदीश कवाडिया, सह कोषाध्यक्ष मनीष मेहरानिया, कोटवालपेमाराम हाटवा, मीडिया प्रभारी पुखराज सारड़ीवाल आदि मौजूद रहे।